देश की उदारवादी नीतियों ने विश्वगुरु भारत के इतिहास को दुष्ट इतिहासकारों के हाथ में सौंप कर बहुत बड़ी गलती की थी। आज भी वह गलती दोहराई जा रही है। हमारे बच्चों में हमारे इतिहास के प्रति हमारे गौरवान्वित इतिहास के प्रति कोई निष्ठा नहीं बची है। क्योंकि इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पढ़ाया गया जो सर्वथा अनुचित था। उसे आज सुधारने की आवश्यकता है। अभी नहीं तो कभी नहीं। आज हमें इतिहास को पुरे भारतीय परिपेक्ष में सच लिखना होगा। अन्यथा यह झूठ के परिंदे हमारे आने वाली पीढ़ियों को भारत के गौरव से वंचित कर देंगे। गौरवान्वित इतिहास से वंचित कर देंगे। उल्टा सीधा पढ़ा जाएगा पढ़ाया जाएगा तो भारत का भला कैसे होगा।
मार्क्सवादियों द्वारा लिखे पाठ्यक्रम में यह पढाया जा रहा है विद्यार्थियों को
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इतिहास की घटनाओं के समय का माप केवल ईसा के जन्म से पूर्व (BC बिफोर क्राईस्ट) या ईसा के बाद (AC आफ्टर क्राईस्ट) ! जैसे भारत का तो कोई समय था ही नहीं ?
सिंधु घाटी में एक महान सभ्यता अस्तित्व में थी, जिसे आक्रान्ता आर्यों ने तहस नहस कर दिया.
उसके बाद सम्राट अशोक आते हैं है !! हर जगह बौद्ध धर्म का उल्लेख । उस समय तक मानो हिन्दू थे ही नहीं ! इतिहास में हिन्दू कहीं मौजूद ही नहीं है।
कुछ है तो आर्यों द्वारा किया गया सभ्यताओं का सफाया तथा बौद्धों पर जाति थोपने का उल्लेख । 5000 से अधिक वर्षों पुरानी धार्मिक सभ्यता का उल्लेख तक नहीं है । पूरे 300 वर्ष के राजवंशों का इतिहास एक पैरा में निबटा दिया गया ।
दुनिया भर में इस्लाम का खूनी विजय अभियान, अरबों द्वारा किया गया “एकीकरण” का प्रयास था, जिसने अनेक लेखक, विचारक और वैज्ञानिक दिए ।
तुर्की के आक्रमण से पहले भारत क्या था, इसका उल्लेख केवल दो पृष्ठों में हैं । जबकि हर क्रूर मुग़ल बादशाह पर पूरा अध्याय है।
भारत पर अरब आक्रमण एक अच्छी बात थी, उन्होंने हमें सांस्कृतिक पहचान दी । महमूद लुटने इसलिए आया क्योंकि उसे पैसे की जरूरत थी !
जिस कट्टरपंथी कुतबुद्दीन ऐबक ने 27 मंदिरों को नष्ट कर कुतुब मीनार बनबाई वह एक दयालु और उदार आदमी था !
बाबर ने अपने शासनकाल में धार्मिक सहिष्णुता की प्रवृत्ति शुरू की !
औरंगजेब एक रूढ़िवादी और भगवान से डरने वाला मुस्लिम संत था जो अपने जीवन यापन के लिए टोपियां सिलता था। वह अदूरदर्शी शासक अवश्य था ।
संक्षेप में बताया जाता है कि मराठा साम्राज्य अस्तित्व में आने के पूर्व ही समाप्त हो गया ।
सिखाया जाता है कि गोरों का राष्ट्रवाद एक अच्छी बात है, किन्तु जब भारतीय राष्ट्रवादी हों तो वे अतिवादी हैं ।
उम्मीद के मुताबिक़ हैदर अली और टीपू सुल्तान को बेहतर दिखाया गया है । मैसूर किंगडम की शुरूआत हैदर अली से !
जिन महाराजा रणजीत सिंह का साम्राज्य पंजाब, कश्मीर और पार तक था, उनका उल्लेख केवल 4 लाइनों में हो गया ।
कसाई टीपू को मैसूर का टाइगर बताया गया गया । एक प्रबुद्ध शासक जो अपने समय से आगे का विचार करता था!
तो औरंगजेब एक संत था और कुतबुद्दीन ऐबक एक दयालु, उदार व्यक्ति ! और टीपू तो निश्चित रूप से धर्मनिरपेक्ष, उदार और सहिष्णु था ही !!
मुरदान खान और खलील जैसे ठग देवी काली के उपासक थे जिन्होंने 2 लाख से अधिक लोगों की हत्याएं कीं !!
भारतीय समाज गड्ढे में पड़ा हुआ था इसलिए दमनकारी था। 1843 में अंग्रेजों ने यहाँ गुलामी को अवैध घोषित किया ! (है ना हैरत की बात ? उन्होंने भारत में गुलामी को अवैध घोषित किया अफ्रीका में नहीं !!)
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विवरण में दी गई पृष्ठ संख्या पुरानी है. हर बार बदलती रहती है. परन्तु अधिकाँश विवरण आज भी उन्ही पुस्तकों में उपलब्ध हैं.
इन विधर्मी और गद्दार लेखकों द्वारा देश के इतिहास के सम्बन्ध में जो विकृत लेख लिखे गए हैं, उसके कुछ उदाहरण प्रस्तुत है:-
वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस का परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था।
(कक्षा 6-प्राचीन भारत, पृष्ठ 35, लेखिका-रोमिला थापर)
महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया।
(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28)
1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था।
(कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1, आधुनिक भारत, पृष्ठ166, लेखक-अर्जुन देव, इन्दिरा अर्जुन देव)
महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया।
(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)
तीर्थंकर, जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई।
(कक्षा 11-प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)
जाटों ने, गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान, सबको लूटा।
(कक्षा 12 – आधुनिक भारत, पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)
रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था।
(कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)
आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया।
(कक्षा 12-आधुनिक भारत, पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)
तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे
(कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)
400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था।
महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं।
(कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)
वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।
(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत, प्रो. सतीश चन्द्र)
औरंगजेब एक महान जिन्दा पीर थे।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316, लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)
राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245, रोमिला थापर)
(ऐसी और भी बहुत सी आपत्तिजनक बाते आपको एन.सी.आर.टी. की किताबों में पढ़ने को मिल जायेंगी)
संकलन
गुरुजी भू