आत्मनिर्भर भारत: डिजिटल खेल व खिनौने बनाओ व्यापार बढ़ाओ
आत्मनिर्भर भारत बनाने हेतु भारत में खिलौने बनाने का व्यापार बहुत बड़ा हो सकता है। आज खिलौने का व्यापार भारत में 7 लाख करोड़ तक का है। आज प्रधानमंत्री ने यह बात अपने मन की बात में कहीं। उनकी बात में एक पीडा स्पष्ट थी कि यह बाजार हमारे हाथ में नहीं है। हमारे बच्चों पर बच्चों के मन पर खिनौने विशेष प्रभाव पडता है। आज खिलौनों का जो व्यापार हो रहा है वो खिलौने बाहर से आते हैं। बाहर वाले लोग उसे अपनी संस्कृति के अनुसार बनाते हैं। इसलिए हमारे खेल, हमारे खिलौने हमारी संस्कृति के अनुसार होने चाहिएंं। हमारे बच्चे खेल खेल में अपनी संस्कृति, योग, प्राणायाम और इस तरह की सभी विद्याओं को खेल-खेल में समझाएं।ज्ञानवर्धक खिलौने बनाए इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए डिजिटल खेल की भी बात हुई। गेम जो कंप्यूटर द्वारा खेले जा सके, मोबाइल द्वारा खेले जा सके या डिजिटल डिवाइस के किसी भी डिवाइस से खेले जा सके इन सब विषयों पर आज प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कही। छोटे बच्चेंं राष्ट्र का भविष्य है इसलिए उनको अपनी संस्कृति और अपने संस्कार ही देने से भारत का स्वाभिमान बढ़ेगा। गौरव बढ़ेगा और विश्व में विश्व गुरु बने रहने की क्षमता बराबर बनी रहेगी। यह मन की बात प्रधानमंत्री के उद्गार पूरे भारत वासियों ने सुने और पूरे भारतवासी इस बात को समझ कर आगे बढ़ने को तैयार हैं। आज से हम यह भी संकल्प कर सकते हैं कि हम कोई भी विदेशी खेल खिलौने नहीं खरीदेंगे। हमारे बच्चे किसी भी विदेशी खेल खिलौने से नहीं खेलेंगे। हम अपने देश में बनेंं अपने संस्कृति से जुड़े खिलौने ही लेंगे उनसे ही अपने बच्चों को खेलने का अवसर देंगे। खेल खेल में कुछ सीखने वाले खेल होंंगे। इस तरीके से हम खेल खेल में सीख सकेंगे कौन सी चीज किस प्रयोग की है।बच्चे अपने अधूरे खेल को पूरा करें, तरह-तरह के दिमागी खेल है। जिसमें दिमाग का प्रयोग किया जा सके। ऐसे खेलों पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा बहुत सारे ऐप्स, बुक्स वगैरह और ऐसे ऐसे बहुत सारे कुछ ऐप हम बना सकते हैं हमारे बच्चे बना सकते हैं। हमारे बच्चे कोडिंग सीख सकते हैं जो कि बच्चों के मन में जाएं। उस तरह के खेल खेलें ताकि उनका दिमाग भी बड़े और किसी तरह की गंदगी से दूर रहें क्योंकि यह बहुत जरूरी है। इस पर से संबंधित गेम अभी भारत में विश्व मित्र परिवार एक ऐसा प्रयास कर रहे हैं कि जो स्पेस से संबंधित गेम अर्थात उसमें ज्ञान भी होगा और वह खेल भी होगा। ऐसे बहुत से खेलों का प्रयास किया जा रहा है। जिन्हें हम उन्नत कर सके। अपने हाथ से उन्नत कर सकें हमारे बच्चे हमारे बच्चों के लिए उन्नत कर सकें। इसलिए हमें विशेष ध्यान रखना होगा प्रधानमंत्री ने मन की बात में यह बात स्पष्ट रूप से की है कि घर और घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा देना होगा। हमारे स्थानीय खिलौनों का व्यापार हमारे अपने हाथ में हो। यह हमारी मजबूरी नहीं है कि हम विदेशी खिलौने खरीदे। आत्मनिर्भर भारत बनाने हेतु भारत से खिलोने बनाने का व्यापार बहुत बड़ा हो सकता है। आज खिलौने का व्यापार भारत में सात लाख करोड तक का है आज प्रधानमंत्री ने यह बात अपने मन की बात में कहीं। उनकी बात में एक बात स्पष्ट थी कि यह बाजार हमारे हाथ में नहीं है। अब हमें अतिशीघ्र ही इस व्यापार को राष्ट्रवादी अभियान बनाना है।
विश्लेषक
गुरुजी भू