विश्व मित्र परिवार और प्रकृति परिवार मिलकर स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की स्वतंत्रता हेतु बलिदानियों के ऊपर 75 फिल्में बनाएंगे। ये काम तरंग मीडिया को सौपा गया है। इन फिल्मों को बनाने हेतु तरंग मीडिया प्रा. लि., व कामधेनु चैनल प्रा. लि. मिलकर कनाडा व यूरोप की कम्पनी पिक्सेल गैलेक्सी के साथ समझौता करने जा रहा है। क्योंकि समय कम है, काम अत्यधिक है, विषय गंभीर है, तकनीकी रूप से बहुत सारे काम है, इसलिए भरपूर प्रयास है कि अच्छे से अच्छी डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनेंं। इस हेतु देश और विदेश यानी भारत और भारतीयता को प्रेम करने वाले लोगों का समूह इन फिल्मों के लिए काम करने को तैयार हुआ है। यह समझौता अति शीघ्र ही हो जाएगा।
गुमनाम स्वतन्त्रता सैनानियों पर बनेगी फिल्में
जिन बलिदानियों ने भारत की स्वतंत्रता में अपना बलिदान दिया, भारत की स्वतंत्रता हेतु उन्होंने अपने प्राणों को नौछावर कर दिया। इस भारत की माटी के लिए इसकी स्वतंत्रता के लिए ऐसे देश भर के कम से कम 75 लोगों को खोज कर विश्व मित्र परिवार उन सब के चरित्र पर छोटी-छोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाएगा। इसमें सभी देशभक्त लोगों का सहयोग लिया जाएगा। देश के सभी क्षेत्रों से सभी जिलों से सभी जनपद और गांवों से जो भी कहानी हमारे पास आएंगी उसमें से कहानी चयनीत की जाएंगी। हम उन कहानियों में से 75 कहानियां ही चुन पाएंगे क्योंकि हमारी क्षमता कम है। हम चाहेंगे कि बाकी लोग भी देश के जितने भी युवा साथी हैं वह अपने-अपने क्षेत्रों में भी खोजें कि उनके क्षेत्र में कितने बलिदानी हुए हैं। वहां उन पर छोटी-छोटी कहानियां अपने गांव के बुजुर्गों से सुनकर अपने इतिहास से निकालकर अपने जनपद के अगर सरकारी कार्यालय में कहीं उनका कोई रिकॉर्ड हो, या जेल का कोई रिकॉर्ड हो तो उसको निकाल कर ढूंढे। उनमें से कुछ कहानियां हमें भी भेजें। हम चाहेंगे कि स्वयं आगे बढ़कर भी लोग फिल्में बनाएं। इस तरह की कहानियों से हमारे युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। देशभक्ति की जागृति बढ़ेगी। देशभक्त युवाओं का एक बहुत बड़ा संगठन तैयार होगा। इससे हमें प्रेरणा मिलेगी कि राष्ट्र के लिए, राष्ट्र निर्माण के लिए भारत की स्वतंत्रता के लिए किन-किन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। उनके पीछे का उद्देश्य क्या था ? लक्ष्य क्या था ? भारत की स्वतंत्रता, भारत माता की आजादी और भारत माता को संपूर्ण स्वतंत्रता मिले इस लड़ाई को लड़ने के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस हवन में, आजादी के हवन में, स्वतंत्रता के इस होम में, यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी। इसलिए उन पर चलचित्रांकन, फिल्मांकन होना ही चाहिए। उन पर फिल्में बननी ही चाहिए। यह प्रेरणादायक फिल्में सारे देशवासियों को देखनी चाहिए।
2022 के वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव में दिखाया जाएगा।
इन फिल्मों की एक सीरीज बनाई जाएगी। 2022 के ग्लोबल नेचर फिल्म फेस्टिवल में उन फिल्मों को दिखाया जाएगा। जो भी युवा इस तरह की फिल्में बनाने में रुचि रखते हैं। अपने क्षेत्र के महापुरुषों के बारे में, अपने क्षेत्र के बलिदानियों के बारे में अपने क्षेत्र के अन्य किसी भी इन्नोवेटिव आईडियाज को डिवेलप करने वाले युवाओं को फिल्मोत्सव में भरपूर अवसर मिलेगा। रचनात्मक विकास करने वाले युवाओं और बुजुर्गों या जो लोग नहीं रहे उन पर भी अगर कोई फिल्म बनाना चाहता है तो वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव आप सब का स्वागत करता है। इस बार जो 10 अक्टूबर को फिल्मोंत्सव होने जा रहा है उसमें भी आप सब का स्वागत है। आइए, जुड़िए भारत को आत्मनिर्भर बनाइए। साक्षर बनाइए ताकि यह भारत समृद्ध बने, युवा वैज्ञानिक बनेंं और भारत का परचम विश्व में लहराए। केवल पृथ्वी पर नहीं पूरे ब्रह्मांड में हमें परचम लहराना है। अहिंसा प्रेम और भाईचारे का परचम लहराना है। भारत को विश्वगुरु ही नहीं वरन् पुनः ब्रह्मांड गुरु बनाना है।
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गुरुजी भू
( प्रकृति प्रेमी, विश्व चिन्तक)