हर साल श्राद्धपक्ष की सर्व पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।
इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से पितृपक्ष और नवरात्र के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा।
#Adhik Maas is an extra lunar month in the Hindu calendar.
अधिकमास पूरे वर्ष में किसी भी माह के बाद या पहले आ सकता है।#पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन माह का अधिकमास (adhik Maas) होगा। यानी दो आश्विन मास होंगे।
#आश्विन का अधिक मास 19 साल पहले 2001 में आया था।
अधिक मास निर्णय-
#भगवान सूर्य सम्पूर्ण ज्योतिषशास्त्र के अधिष्ठतृ देव हैं। सूर्य का मेषादि 12 राशियों पर जब संचार (transit) होता है, तब संवत्सर बनता है जो सौर वर्ष (solar year) कहलाता है।
अधिक मास’ के माह का निर्णय #सूर्यसंक्रान्ति के आधार पर ही किया जाता है।
The transition of the sun from one rāśi to the next is called sankranti.
जिस माह सूर्य संक्रान्ति नहीं होती वह मास ‘अधिक मास’ कहलाता है।
#ज्योतिष की मानें तो 160 साल बाद leap year और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं।
इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा।
17 Sep को श्राद्ध खत्म होने के अगले दिन से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे।
इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे।
एक सूर्य वर्ष solar year 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष lunar year 354 दिनों का माना जाता है।
दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास lunar month अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है।
#अधिकमास को कुछ स्थानों पर मलमास भी कहते हैं। दरअसल इसकी वजह यह है कि इस पूरे महीने में शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
मलमास में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
#पौराणिककथाओं के अनुसार मलमास होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्घार के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना से प्रसन्न होकर #भगवानविष्णु जी ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्राप्त करने वाला होगा।
इस मास की मलमास की दृष्टि से जैसे निंदा है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से बड़ी महिमा है।
इस adhik Maas में शिवजी और श्रीविष्णु दोनों की ही आराधना विहित है।
ज्योतिषाचार्य
बलदेव महाजन
9891870097