लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद में गुंडागर्दी पर उतरा विपक्ष।
इसके मायने क्या है ? यह कौन सी चीज है कौन सी पीड़ा है ? यह पीड़ा किसानों के हित में नहीं किसानों के नाम पर है। यह असली पीड़ा चीन की है। चीन पर भारत का बढ़ता प्रभाव और दबंगई से दिया गया जवाब उनको चुभ रहा है, क्योंकि भारत की संसद में बैठकर चीन का पक्ष लेने की सीधे-सीधे हिम्मत उनकी नहीं है। लेकिन वह चीन के पक्षधर ही हैं। भारतीय संसद में भारत के लोग उन लोगों को भेजते हैं जो लोग उनके हितों की बात करें। भारत के हितों की बात करें लेकिन वहां तो उल्टा ही हो रहा है। यह सब लोग चीन के पक्षधर हैं लेकिन किसानों के नाम पर संसद में हंगामा बनाए हुए हैं। ठीक उसी तरीके से जैसे फिल्म उद्योग में माफिया गिरी पर जो प्रश्न उठ रहे हैं, जो माफिया का साम्राज्य है फिल्म जगत में जितने भी माफिया हैं वह फिल्मों में पैसा लगाते हैं। ड्रग्स माफिया हैं और वो फिल्मों के भी माफिया हैं। संस्कृति को विकृति में बदलने वाले माफिया हैं। इन सब का खुलासा जब होने लगा तो इनकी पीड़ा संसद में भी छलकने लगी। क्योंकि इनके एजेंट संसद में पहुंच चुके हैं। येे किसी ना किसी रूप में अपना वर्चस्व दिखाकर लोगों को गुमराह करने में मास्टर है। लोग भ्रमित हो रहे हैं। भारत के लोगों को पूरी तरह से ठगा जा रहा है। विपक्ष अपनी भूमिका ठीक से ना निभा कर केवल एक पक्षीय भूमिका, विरोध की भूमिका ही निभा रहा है। विरोध किस बात पर करना है, क्यों करना ह, वह राष्ट्रहित में है या नहीं है उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। संसद में जिस तरह का दुर्व्यवहार किया गया है उस व्यवहार के लिए भारत वासी इन्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे। क्योंकि भारतीय लोग समझ चुके हैं कि इस समय पर सरकार भारत के हित में काम कर रही है। भारत के हित में काम करना विपक्ष को बर्दाश्त नहीं है। वह विदेशों के एजेंट बन चुके हैं। यही एक कारण है जो संसद में बदसलूकी होती है। वहां व्यवहार कुशलता ताक पर रख दी जाती है। संसद की मर्यादा को भंग करते हुए वह केवल गुंडागर्दी पर उतर आते हैं उनका यह हश्र होना उनकी यह पीड़ा किसानों के नाम पर छलकना यह अपने आप में एक बड़ी बात है।
भोले-भाले किसानों को ठगनाइनका पुराना धंधा रहा है। अब भारतीयों को समझना होगा, हर भारतवासी को समझना होगा और इस तरह के तथाकथित नेताओं को सत्ता से बाहर करना होगा। संसद से दूर रखना होगा यह केवल जनता का ही काम है। इसमें कोई भी सरकार कोई भी सरकारी तंत्र काम नहीं कर सकता क्योंकि उन्हें हम चुनकर भेजते हैं। यह हमें स्वयं सोचना होगा कि हम किसको चुने? कौन लोग भारत के हित में है ? कौन लोग जनता के हित में है? कौन लोग इस तरह के व्यवहार को कर सकते हैं। इसलिए इस तरह के दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों से बचना जनमानस का काम है। भारतीयों का काम है। भारतीय मतदाताओं का काम है। लोकतंत्र के मंदिर जिसकी सारी कार्यवाही को सारा विश्व देखता है। उस कार्यवाही में इस तरह की गुण्डागर्दी हो, यह भारतीय जनमानस को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है, स्वीकार नहीं है।
गुरुजी भू
प्रकृति प्रेमी, मुस्कान योग के प्रणेता, विश्व चिन्तक