भारत ने बनाया अपना खुद का BMD (Ballistic Missile Defence System). पहले आप सब को यह बता दूं कि यह पूर्णतया स्वदेशी है और S400 का बाप है। जिस S400 के लिए रूस इतना इतराता फिर रहा है हमारा BMD उसका भी बाप यानी की रूस के S500 से भी बढ़िया है।
चलो इसके बारे में थोडे विस्तार से बात करते हैं। जब कभी भी लड़ाई छिड़ेगी तो दुश्मन देश तुम पर प्रहार करेंगे। या तो सीधे सीधे जमीनी प्रहार होगा जिसमें सैनिक, राइफल्स, राकेट लॉन्चर्स, हथगोलों, तोपों या टैंको आदि का प्रयोग होगा और या फिर हवाई अटैक होंगे।
हवाई अटैक में लड़ाकू विमान, ड्रोन, मिसाइलस आदि का प्रयोग होगा। यह अटैक बहुत खतरनाक और विध्वंसकारी होता है। इससे बचने के लिए हमें कोई ऐसा यंत्र चाहिए जो इन सब वेपन्स को दूर से ही अपनी सीमा में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट कर दे। यह खूबी थी S400 में जो लगभग 400 किलोमीटर दूर से ही किसी भी हवाई आक्रमण को हवा में ही नष्ट कर सकता है। अब मान लो पाकिस्तान अपने हरामीपन के चलते भारत पर एटम बम्ब अपनी गोरी या शाहीन मिसाइल या फिर F16 फाइटर प्लेन के द्वारा भारत की भूमि पर गिरा दे तो भारत में भी हिरोशिमा और नागासाकी से ज्यादा भयंकर तबाही हो सकती है। ऐसे में हमें किसी एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है और यह काम S400 बड़े आराम से कर सकता है।
लेकिन रूस हमें S400 2021 के अंत में जाकर देने को कह रहा है। जबकि जंग तो किसी भी समय हमारे सिर पर खड़ी है। ऐसे में हमारे DRDO ने अपना खुद का BMD बना लिया। S400, ICBM मिसाइल्स को रोकने में कामयाब नहीं है क्योंकि इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल्स पहले अंतरिक्ष में जाती हैं फिर अपने टारगेट को सेट करके अपने टारगेट पर वार करती है। क्योंकि S400 का राडार सिर्फ 400 KM तक ही पकड़ और वार कर सकता है।
ऐसे में भारत ने दो नई मिसाइल्स डेवेलोप की हैं AG1 एंड AG2 जो कि 5000 किलोमीटर की रेंज रखती है। अब 400 किलोमीटर V/S 5000 किलोमीटर, मुझे तो नहीं लगता कि इनमें आपस में कोई तुलना मात्र भी है।
इसकी पूरी टेकनोलोजी भारतीय है जो आज किसी भी देश के पास नहीं है। DRDO यहां नहीं रुकने वाला है और अगर DRDO इसी स्पीड से लगा रहा तो भारतीय जल्द ही विश्व अजेय हो जाएगा।
यहाँ यह बताना बहुत जरूरी है कि जब भारत यह सिस्टम अपने अंदर इतनी जल्दी बना सकता था तो भारत ने इसे इतने महंगे में रूस से क्यों खरीदा। तो भाइयों इसके पीछे भी एक स्टोरी है। रूस यह सिस्टम हमें चेपना चाह रहा था पर भारत अपना डिफेंस सिस्टम बना रहा था। ऐसे में रूस इसके लिए पाकिस्तान से बातचीत करने लगा। तब जाकर भारत ने यह मिसाइल सिस्टम रूस से सिर्फ इसलिए खरीदा ताकि रूस इसे पाकिस्तान को न बेचे और हमारे खरीद करार में यह शर्त रखी भी गई है।
तो भाइयों डर छोड़कर आजसे ही अक्साई चीन और गिलगिट पाकिस्तान में पिकनिक मनाने की तैयारी करें।