जटायु नैशनल पार्क

कायरता का कलंक लेकर जीना नहीं चाहता था….

जटायु नेशनल पार्क, चदयामंगलम, जिला कोल्लम
केरल मेें है।
जब जटायु की अंतिम सांसें चल रही थी तब किसी ने उससे कहा कि जटायु तुम्हें मालुम था कि तुम रावण से युद्ध कदापि नहीं जीत सकते तो तुमने उसे ललकारा क्यों?

तब जटायु ने जवाब दिया था, ‘मुझे पता था कि मैं रावण से युद्ध में नहीं जीत सकता पर अगर मैंने उस वक्त रावण से युद्ध नहीं किया होता तो भारतवर्ष की अनेक पीढ़ियां मुझे कायर कहती। अरे, एक भारतीय आर्य नारी का अपहरण मेरी आंखों के सामने हो रहा है और मैं कायरों की भांति बिल में पड़ा रहूं इससे तो मौत ही अच्छी है। मैं अपने सर पर कायरता का कलंक लेकर जीना नहीं चाहता था इसलिए मैंने रावण से युद्ध किया।”

जटायु माता सीता को बचाने के लिए रावण से भीड़ गए थे। उन्हीं जटायु की पवित्र स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए ‘जटायु नेशनल पार्क’ ठीक उसी जगह पर बनाया गया है जहां जटायु रावण से लड़ते हुए गिरे थे।

केरल के कोल्लम जिले के चदयामंगलम गांव में ‘जटायु नेचर पार्क’ बनाया गया है। इस पार्क में जटायु का दुनिया का सबसे बड़ा और खूबसूरत स्कल्पचर बनाया गया है।

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