अमेरिकी चुनाव अधर में – डॉ. वेदप्रताप वैदिक

 

यह लेख लिखे जाने तक पता नहीं चला है कि अमेरिका में कौन जीता है ? डोनाल्ड ट्रंप या जो बाइडन। वैसे अभी तक जो बाइडन ट्रंप से थोड़ा आगे हैं। उन्हें ‘इलेक्ट्रोरल कालेज’ के अभी तक 238 वोट मिले हैं और ट्रंप को 213 वोट। जीत के लिए 270 वोट जरुरी हैं। लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने के पहले ही ट्रंप ने पत्रकार परिषद करके अपनी जीत की घोषणा कर दी है। उन्होंने यह भी कह दिया है कि वहां विभिन्न राज्यों में जो वोटों की गिनती हो रही है, वह अपने आप में बड़ी धांधली है। उन्होंने राज्यों से कहा है कि वे उस गिनती को रुकवा दें। जो हालत इस चुनाव में अमेरिकी लोकतंत्र की हुई है, वैसी दुनिया के किसी लोकतंत्र की नहीं हुई। अमेरिका अपने आप को दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र कहता है लेकिन उसकी चुनाव पद्धति इतनी विचित्र है कि किसी उम्मीदवार को जनता के सबसे ज्यादा वोट मिलें, वह भी उस उम्मीदवार से हार जाता है, जिसे ‘इलेक्टोरल वोट’ ज्यादा मिलते हैं। इसके अलावा इस बार कोरोना की महामारी के कारण लोगों ने घर बैठे ही करोड़ों वोट इंटरनेट के जरिए डाले हैं। इन वोटों में भी धांधली की शंका की जा रही है। इसके अलावा इस चुनाव में गोरे और काले, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग तथा यूरोपीय और लातीनी मूल का भेद इतना ज्यादा हुआ है कि चुनाव परिणाम के बाद भयंकर हिंसा और तोड़फोड़ का डर बढ़ गया है। इसीलिए लगभग सभी बैंकों, बड़े बाजारों और घनी बस्तियों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। राष्ट्रपति भवन पर सुरक्षाकर्मियों को बड़ी संख्या में तैनात कर दिया गया। अगर ट्रंप की जीत की घोषणा हो गई तो उनके जीवन को भी खतरा हो सकता है और यदि बाइडन जीत गए तो ट्रंप के उग्र समर्थक कितना ही भयंकर उत्पात मचा सकते हैं। चुनाव-परिणाम की घोषणा में देरी भी दो कारणों से हो सकती है। एक तो डाक से आए वोटों की गिनती में देर लग सकती है और दूसरा, दोनों पार्टियां अदालत की शरण में भी जा सकती हैं। टेक्सास प्रांत में एक लाख 27 हजार वोटों को अवैध घोषित करवाने के लिए ट्रंप के रिपब्लिकनों ने अदालत के दरवाजे खटखटाए थे। इस वक्त ट्रंप और बाइडन के सैकड़ों वकीलों ने अदालतों में जाने की पूरी तैयारी कर रखी है। हो सकता है, इस अमेरिकी चुनाव के फैसले में काफी देर लग जाए और अंतिम निर्णय अदालत का ही हो। यह असंभव नहीं कि इस चुनाव के बाद अमेरिका में यह मांग जोर पकड़ ले कि उसकी चुनाव-पद्धति में आमूल-चूल सुधार हो और भारत की तरह वहां कोई चुनाव आयोग पूरे देश में एकरुप चुनाव करवाए।

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