चेतना केंद्र के 9 मुख्य बिन्दु
-
प्रकृति – पर्यावरणीय चेतना
-
मीडिया, कला व सांस्कृतिक चेतना
-
न्यायिक चेतना
-
लोकतान्त्रिक नागरिक चेतना
पर प्रकाश डाला।
चेतना केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य
आयोजको ने बताया कि देश के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वसम्मति से कोई स्पष्ट नीति गांव गली से बने इसलिए चेतना केंद्र आवश्यक है। अंग्रेजों ने हमारे आत्मनिर्भर देश को हर मोड़ पर सरकार के सहारे रहने की आदत डालनी चाही थी तब तो ये आदत पड़ी नहीं, फिर बड़ी ही धूर्तता पूर्ण तरीके से अपने सींचे हुए काले अंग्रेजों को सत्ता सोपकर वो तो चले गये। लेकिन उनको दिए वचन को हमारे सत्ता भोगी नेताओ ने उनसे भी बढ़चढ़ कर निभाया और जनता को सरकार पर निर्भर रहने के लिए बाध्य कर दिया। मेरे विचार से देशवासियों को सरकार पर से निर्भरता त्यागकर आत्मबल व स्वावलम्बन बढाकर आत्मनिर्भर बनना होगा। जैसे हर घर अपनी नीतियों पर ही चलता है। उसी तरह हर गांव, हर कॉलोनी, नगर, महानगर चल सकते है। ये सब करने के लिए चेतना केंद्र आवश्यक है। ऐसा करने में सरकार का बहुत ही सुक्ष्म योगदान लेकर भी सभी समस्याओं का समाधान संभव है। यही है चेतना केंद्र का केंद्र बिंदु है। समाज की विभिन्न चुनौतियों और समस्याओं का विश्लेषण करके उनका समाधान करना ही चेतना केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य होगा।
चेतना केंद्र के साथ क्यो जुडें?
हम चेतना केंद्र के अपने सदस्यों, समर्थकों, स्वयंसेवकों, सहयोगियों, आर्थिक सहयोगियों को नीतियों में पारदर्शिता के साथ सर्वोत्तम, सर्वोत्कृष्ट, गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भेदभाव छोडो भारत जोड़ो।
सबको सामान शिक्षा, सब हाथों को काम।
चेतना केंद्र जाति, धर्म, लिंग, वर्ग, नस्ल, भाषा, क्षेत्र या पंथ के भेदभाव से ऊपर उठकर समृद्ध भारत बनाने हेतु संकल्पबद्ध है। जहां अपने क्षेत्र में सबको सामान शिक्षा, सब हाथों को
काम के प्रयास सर्वसम्मति से पारित होंगे।
स्वाभिमानी भारतीय बनना है।
भारत के महापुरुषों, ऋषियों, मनीषियों, महान विभूतियों, वीरांगनाओं के प्रति सम्मान एवं सम्पूर्ण आदर भाव रखना हमारा परम कर्तव्य है। भारत को पूर्व की भांति विश्व में एक महान
राष्ट्र की परिकल्पना के साथ भारत के हर गांव, गली तक चेतना केंद्र खोलकर हर भारतवासी को स्वाभिमान के साथ जीने की कला सीखानी है। हर भारतवासी को स्वाभिमानी भारतीय बनना है।
हम अत्याधुनिक प्रणाली द्वारा मानव की बहुमुखी प्रतिभा के विकास पर काम कर रहे है। जिसके अन्तर्गत मार्गदर्शन, जीवनशैली, नीतियां, प्रशिक्षण, मूल्यांकन और कैरियर में वृद्धि की संभावनाए स्पष्ट एवं पारदर्शी रूप से संचालित की जा सके। हम देश में उच्च कोटि का निर्माण, स्वावलम्बन, आत्मबल की प्रबलता बढ़ाकर विश्व में उच्च आदर्श स्थापित करना चाहते है।
यदि आप अपनी और अपने भारत की शक्ति, समृद्धि बढ़ाना चाहते है तो “मेरा देश मैं ही सवारूँ” के सिद्धांत पर चलकर मानव एवं हर जीव के लिए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के इस सपने को आगे बढ़ाने में हमारे साथ आज ही जुड़े।
चेतना केंद्र खोलने, उनसे जुड़ने के लिए स्पष्ट नीतियों को आपके समक्ष रखा है आप चेतना केंद्र की साइट अथवा एप पर अपना पंजीकरण कराकर तुरंत ही काम शुरू कर सकते है। अपने काम, अपने दाम। अपना हाथ जगन्नाथ।
न्यायराज की स्थापना हेतु चेतना केंद्र
देरी से मिलने वाला न्याय भी किसी घोर अन्याय से कम नहीं होता। इस लिए न्याय की चेतना जागृत करना अनिवार्य है। आधे से अधिक विवादों की कोई जड़ नहीं होती लेकिन वर्षों तक न्यायालयों में लोग धक्के खाते मिल ही जाएंगे। जाते न्याय मांंगने लेकर आते है केवल तारीख पर तारीख। झूठी गवाही, झूठे केस, झूठे कागजात, कानून का मजाक उड़ाते धनाढ्य लोग, समय की व्यर्थता ये सब हमारे न्यायलय में भरपूर देखने को मिलती है। चेतना केंद्र के आस पास निर्विवाद माहौल बनाया जायेगा। सभी गांव वाले अपने निर्णय स्वयं करेंगे। हम सब एक दूसरें के प्रति न्याय भाव रखे इसी पवित्र भावना के साथ चेतना केन्द्रों की स्थापना की जा रही है।
श्री भू त्यागी भारतीय ने बताया कि आज पूरे देश में हर 9,999 लोगो पर एक चेतना केन्द्र खोलने की आवश्यकता है। तभी देश में नई चेतना का विकास, युवा ऊर्जा का सदुपयोग, महिलाओं के ज्ञान व उत्साह का सदुपयोग हो पायेगा।
इस सभा का संचालन चेतना केन्द्र की प्रणेता श्रीमती इन्दू श्री ने किया।
सभा में आचार्य जी, किन्नर अखाड़े की महामण्लेश्वर पूजाजी, बाबा तोमर, भू त्यागी भारतीय, सुश्री विष्णु दीदी, भावना त्यागी भारतीय, सहित अनेको विद्वानों ने अपने विचार रखे।