महान देशभक्त श्री गुरुगोविंद पर बलिदानी दीवान टोडरमल जाट पर बनेगी फिल्म – गुरुजी भू

विश्व मित्र परिवार द्वारा आयोजित पांचवा वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव जारी है।

आज कार्यक्रम का प्रारंभ गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव की शुभकामनाओं के साथ हुआ। तदुपरांत यह घोषणा की गई कि अध्यात्म और विश्व शांति की अनूठी मिसाल को आगे बढ़ाते हुए हम गुरु नानक देव जी के दिखाए गए मार्ग पर, उनके संदेशों  पर छोटी-छोटी फिल्में बनाकर समाज को जागृत करेंगे। श्री गुरु गोविंद सिंह जी पर बलिदानी दीवान टोडर मल जाट जी पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की गई।

22 नवंबर गोपाष्टमी से प्रारंभ हुआ यह फिल्म महोत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा।

इसमें वेबीनार हो रही है। निरंतर चल रही है। इसमें फिल्में दिखाई जाएंगी। सतत विकास मुख्य मुद्दा है। गीत – संगीत के कार्यक्रम है। इसके अलावा लोकगीत और औद्योगिक करण में क्या भूमिका हो सकती है फिल्मों की। उद्योगों के विकास में क्या भूमिका हो सकती है। फिल्मों की कृषि के विकास में क्या भूमिका हो सकती है। इन सब विषयों पर चर्चा जारी है। फिल्में सतत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।  विश्व शांति श्व मित्र परिवार के द्वारा आयोजित यह पांचवा वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव है। इस फिल्म महोत्सव में 32 दिनों में लगभग 72 से अधिक संगोष्ठी या ऑनलाइन होंगी और उस ऑनलाइन संगोष्ठी में यह तय किया जा रहा है कि भविष्य में हम अपने महापुरुषों पर फिल्में बनाएं गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्में बनाएं और विश्व के कोने-कोने में हमारी महान संस्कृति की जो वैज्ञानिक तथा है जो वैज्ञानिक सत्यता है वह दुनिया तक पहुंचे विश्व तक पहुंचे इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए विश्वमित्र परिवार की और सभी सहयोगी संस्थाएं जैसे विश्व महिला परिवार, विश्व मीडिया परिवार, प्रकृति परिवार, बीटीएक्स सिटी और अन्य कई संस्थाओं ने मिलकर यह तय किया है कि महान देशभक्त गुरु गोविंद सिंह पर बलिदान होने वाले श्री दीवान टोडरमल जी जाट पर एक फिल्म बनाई जाए।

जनता के सामने, अपने देशवासियों के सामने, समस्त विश्व वासियों के सामने उनका महान त्याग और तप पेश किया जाए ताकि हमारी पीढ़ियां यह समझ सके कि हमारे देश में कितना क्रूरता से लोगों ने शासन किया और कितने महान देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया। अपना सर्वस्व दान कर दिया। बलिदान कर दिया।

कौन थे दीवान टोडर मल जाट जी आइए जानते हैं।

महान देशभक्त श्री गुरुगोविंद पर बलिदानी दीवान टोडरमल जाट पर बनेगी फिल्म

क्या आप जानते है दुनिया की सबसे महँगी जमीन खरीदने वाला आदरणीय टोडरमल जाट था।
क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे महंगी ज़मीन कहां पर है?

आज तक किसी एक भूमि के टुकड़े का सबसे अधिक दाम चुकाया गया है वो हमारे भारत में ही पंजाब में स्थित सिरहिन्द में ,और , विश्व की इस सबसे महंगी भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम था *दीवान टोडरमल जी जाट।

गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तह सिंह और बाबा ज़ोरावर सिंह की शहादत की दास्तान शायद आप सबने कभी ना कभी कहीं ना कहीं से सुनी होगी….. यहीं सिरहिन्द के फ़तहगढ़ साहिब में मुग़लों के तत्कालीन फ़ौजदार वज़ीर खान ने दोनो साहिबज़ादों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था।

दीवान टोडर मल जी जाट , जो कि इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान करने को तैयार थे । उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की माँग की ,और वह भूमि ,जहाँ वह शहीद हुए थे वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की । वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित माँग रखी।

वज़ीर खान ने माँग रखी कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाने पर जितनी मोहरें आएँगी वही इस भूमि का दाम होगा।

दीवान टोडर मल जी जाट ने अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि खड़ी करके रखी जाएँगी ताकि अधिक से अधिक मोहरें वसूली जा सकें।

ख़ैर…..दीवान टोडर मल जी जाट ने अपना सब कुछ बेच-बाच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और 78000 सोने की मोहरें देकर चार गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार वहाँ किया जा सके।

विश्व के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग की कहीं कोई और मिसाल मिलती है ना ही कहीं पर किसी भूमि के टुकड़े का इतना भारी मूल्य कहीं और आज तक चुकाया गया।

जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल जी जाट से कृतज्ञता प्रकट की और उनसे कहा कि वे उनके त्याग से बहुत प्रभावित हैं , और उनसे इस त्याग के बदले में कुछ माँगने को कहा।

*ज़रा सोचिए , दीवान टोडर मल जी जाट ने क्या माँगा होगा गुरु जी से ????*
*दीवान जी ने गुरु जी से जो माँगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव है !*

*दीवान टोडर मल जी जाट ने गुरु जी से कहा कि यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसा वर दीजिए की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ ही समाप्त हो जाए।

इस अप्रत्याशित माँग पर गुरु जी सहित सब लोग हक्के-बक्के रह गए…..गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत माँग का कारण पूछा तो दीवान जी का उत्तर ऐसा था जो रोंगटे खड़े कर दे।

*दीवान टोडर मल जाट ने उत्तर दिया कि गुरु जी, यह जो भूमि इतना महंगा दाम देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता कि कल को मेरी आने वाली नस्लों में से कोई कहे कि यह भूमि मेरे पुरखों ने ख़रीदी थी।*

*यह थी निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल……. ।*

*आज किसी धार्मिक स्थल पर चार ईंटे लगवाने पर भी लोग अपने नाम की पट्टी पहले लगवाते हैं….. “एक पंखा तक लगवाने पर उसके परों पर अपने नाम छपवाते हैं”।*

हमारे पुरखे जो जो बलिदान देकर गए हैं वह अभूतपूर्व है और इन्ही बलिदानों के कारण ही हम लोगों का अस्तित्व अभी तक है।.हमारी इतनी औक़ात नहीं कि हम इस बलिदान के हज़ारवें भाग का भी ऋण उतार सकें।

त्याग और बलिदान की इस गाथा, जिसे हमारे गौरवशाली इतिहास से गायब कर दिया गया , अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर कीजिए और अपने पुरखों का मान-सम्मान बढ़ाइए।

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