विश्व मित्र परिवार द्वारा आयोजित पांचवे वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव में एक विशेष संगोष्ठी
गुरुनानक देव जी के उपदेशों से होगी विश्व शांति
का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न विद्वानों ने भाग लिया।
प्रो. (डॉ) वी के गोस्वामी, श्री गुरुजी भू, श्री विकास तोमर, प्रो दीपक चन्द्र गोयल, डॉ साहब सिंह भट्टी, श्री गुरदीप चीमा, श्री जसवंत सिंह भट्टी ने अपने विचार रखे।
विश्व मित्र परिवार द्वारा आयोजित पांचवा वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव जारी है।
आज कार्यक्रम का प्रारंभ गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव की शुभकामनाओं के साथ हुआ। तदुपरांत यह घोषणा की गई कि अध्यात्म और विश्व शांति की अनूठी मिसाल को आगे बढ़ाते हुए हम गुरु नानक देव जी के दिखाए गए मार्ग पर, उनके संदेशों पर छोटी-छोटी फिल्में बनाकर समाज को जागृत करेंगे। श्री गुरु गोविंद सिंह जी पर बलिदानी दीवान टोडर मल जाट जी पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की गई।
22 नवंबर गोपाष्टमी से प्रारंभ हुआ यह फिल्म महोत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा।
इसमें वेबीनार हो रही है। निरंतर चल रही है। इसमें फिल्में दिखाई जाएंगी। सतत विकास मुख्य मुद्दा है। गीत – संगीत के कार्यक्रम है। इसके अलावा लोकगीत और औद्योगिक करण में क्या भूमिका हो सकती है फिल्मों की। उद्योगों के विकास में क्या भूमिका हो सकती है। फिल्मों की कृषि के विकास में क्या भूमिका हो सकती है। इन सब विषयों पर चर्चा जारी है। फिल्में सतत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। विश्व शांति श्व मित्र परिवार के द्वारा आयोजित यह पांचवा वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव है। इस फिल्म महोत्सव में 32 दिनों में लगभग 72 से अधिक संगोष्ठी या ऑनलाइन होंगी और उस ऑनलाइन संगोष्ठी में यह तय किया जा रहा है कि भविष्य में हम अपने महापुरुषों पर फिल्में बनाएं गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्में बनाएं और विश्व के कोने-कोने में हमारी महान संस्कृति की जो वैज्ञानिक तथा है जो वैज्ञानिक सत्यता है वह दुनिया तक पहुंचे विश्व तक पहुंचे इसी विषय को आगे बढ़ाते हुए विश्वमित्र परिवार की और सभी सहयोगी संस्थाएं जैसे विश्व महिला परिवार, विश्व मीडिया परिवार, प्रकृति परिवार, बीटीएक्स सिटी और अन्य कई संस्थाओं ने मिलकर यह तय किया है कि महान देशभक्त गुरु गोविंद सिंह पर बलिदान होने वाले श्री दीवान टोडरमल जी जाट पर एक फिल्म बनाई जाए।
गुरुजी भू के प्रस्ताव को कार्यक्रम में एक सुर में सभी वक्ताओं ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक संस्कृति, भारतीय महापुरुषों की गाथा फिल्मों के माध्यम से जनता के सामने, अपने देशवासियों के सामने, समस्त विश्व वासियों के सामने उनका महान त्याग और तप पेश किया जाए ताकि हमारी पीढ़ियां यह समझ सके कि हमारे देश में कितना क्रूरता से लोगों ने शासन किया और कितने महान देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया। अपना सर्वस्व दान कर दिया। बलिदान कर दिया।