पांचवे वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के15वें दिन 35वे सत्र में गीत संगीत का फिल्मों में महत्व विषय पर संगोष्ठी

पांचवें वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के 15वें दिन में 35 वें सत्र के अंतर्गत आज “गीत संगीत का फिल्मों में महत्व” विषय पर परिचर्चा की गई। विभिन्न गीतकारों, गजलकारों ने इस कार्यक्रम में अपने गीतों से, गजलों से और कविताओं से कार्यक्रम को सम्मोहित किया।ऑनलाइन हुए इस कार्यक्रम का विधिवत संचालन बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ संगीता शर्मा अधिकारी ने किया। इस कार्यक्रम में श्री आमिर हुसैन, सुश्री लक्ष्मी करियारे, और सुश्री रूपा ने भाग लिया उन्होंने अपने गीतों से सब को सम्मोहित कर दिया।

देखें पूरा कार्यक्रम

बहुत सुंदर गीत लोक गीत और गजल सुनने को मिले । सभी कलाकारों ने हृदय से विश्व मित्र परिवार द्वारा आयोजित इस वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव को सफल होने की शुभकामनाएं दी। आज पांचवे वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के15वें दिन 35वे सत्र में गीत संगीत का फिल्मों में महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन परिचर्चा के साथ गीत संगीत की सभा से हुआ।

पांचवा वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव 40 दिन तक लगातार चलेगा। 22 नवंबर, गोपाष्टमी के दिन प्रारंभ हुआ यह कार्यक्रम अपनी संगोष्ठियों, कलाकारों की प्रस्तुतियों और विभिन्न विषयों पर परिचर्चाओं से सराबोर चल रहा है। कार्यक्रम 31 दिसम्बर तक चलेगा।

इस कार्यक्रम में छोटी-बड़ी सभी तरह की फिल्में दिखाई जाएंगी। गीत-संगीत के कार्यक्रम है। लोक गीत, लोक संगीत के कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। विश्व शांति में युवाओं की क्या भूमिका हो सकती है ? भारत को आत्मनिर्भर बनाने में स्वाबलंबी बनाने में युवाओं की क्या भूमिका हो सकती है? इन विषयों पर भी संगोष्ठी रखी गई है। देशभर के युवा इन गोष्ठियों में भाग लेने के लिए निरंतर आवेदन कर रहे हैं। उनको मंच भी प्रदान किया जा रहा है। इन्नोवेटिव आईडियाज अर्थात कुछ नए विचार अगर समाज में उद्योग विकास में शिक्षा में या कृषि में किसी भी क्रांतिकारी विषय पर कोई संगोष्ठी अगर करनी है तो उसके लिए आयोजकों ने उन सभी युवाओं का स्वागत किया है। उनका आवाहन किया है। सभी से आग्रह है कि इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक युवा जोड़े और इस लिंक को शेयर करें। इस कार्यक्रम को सबको भेजे। क्योंकि यह युवाओं का कार्यक्रम है। भारत का कार्यक्रम है। भारत की महिलाओं का कार्यक्रम है। सभी कलाकारों का कार्यक्रम है। इसलिए इस कार्यक्रम को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। फिल्में जिन्होंने बनाई हैं वह अपनी फिल्म में भी भेज सकते हैं। अभी समय है क्योंकि कार्यक्रम को बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया गया है।

इस कार्यक्रम में आज 15वें दिन का  34वां सत्र में भारतीय संगीत कला के कलाकारों ने “गीत संगीत का फिल्मों में महत्व” विषय के ऊपर परिचर्चा की। उसमें विभिन्न गीतकार, संगीतज्ञ, गायक व गायिकाओं, विद्वानों ने भाग लिया। यह तय किया गया कि विश्व में अगर शांति स्थापित करनी है तो विश्व को भारतीय मूल्य, भारतीय जीवन दर्शन, भारतीय मानवीय मूल्यों की जो परिभाषा है, उसको विश्व भर में स्थापित करना होगा। उनको

कार्यक्रम में विश्व मित्र परिवार के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री गुरुजी भू, डॉ संगीता शर्मा “अधिकारी” आमिर हुसैन, सुश्री लक्ष्मी करियारे, सुश्री रुपा शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ संगीता शर्मा “अधिकारी” ने अपनी मधुर वाणी एवं मनमोहक मुस्कान से किया।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से भारतीय गीत, संगीत व शास्त्रीय दर्शन पर चर्चा हुई। मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देने वाला भारतीय दर्शन अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष: परिचर्चा में बताया गया कि भारतीय फिल्मों में गीत संगीत का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। अगर फिल्में शरीर हैं तो गीत और संगीत उसकी आत्मा है। गीत-संगीत के बिना कोई भी फिल्म बनाना भारत में संभव नहीं है। वैसे तो विश्व में भी कोई फिल्म बनती है तो उसमें संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका होती ही है। भारतीय फिल्मों में गीत और संगीत दोनों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है और होती रहेगी।

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