– गर्भनाल संक्रमण हो सकता है नवजात मृत्यु का कारण, रहें सतर्क
लखीसराय, 22 जुलाई-
गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु के सम्पूर्ण विकास की जिम्मेदारी, माँ के साथ जुड़ी गर्भनाल पर होती है। जिसके श्रोत से गर्भस्थ शिशु को प्रसव से पूर्व तक आहार मिलता है। जन्म के बाद भी कुछ समय यह शिशु से जुड़ा रहता है। इसलिए, यह लाजिमी है कि इसके खुद से सूख कर गिरने तक संक्रमित होने या टूटने से बचाया जाए। साथ ही गर्भनाल की सफाई और बेहतर देखभाल का ध्यान रखा जाए, अन्यथा गर्भनाल में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है, जो नवजात के लिए मृत्यु का भी कारण भी बन सकता है।
– समुचित देखभाल जरूरी:
जिला सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया, गर्भनाल की समुचित देखभाल जरूरी होती है। शिशु जन्म के बाद नाल के ऊपर से किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ या क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नाल को सूखा रखना जरूरी होता है। बाहरी चीजों के इस्तेमाल से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। सदर अस्पताल में नियुक्त सभी स्वास्थ्य कर्मी विशेष कर प्रसव कक्ष से जुड़े एएनएम के साथ नर्स, चिकित्सक इसके लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं तथा वो प्रसवोपरांत माताओं को इन सब बातों की जानकारी बारीकी से देते हैं।
– क्यों हैं गर्भनाल सुरक्षा प्रबंधन आवश्यक :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि नवजात मृत्यु की संभावना जन्म के पहले माह की अपेक्षा आगे आने वाले महीनों में 15 गुना कम होती है। पांच साल से अंदर बच्चों की लगभग 82 लाख मौतों में 33 लाख मौतें जन्म के पहले महीने में ही होती है। जिसमें लगभग 30 लाख मृत्यु पहले सप्ताह एवं 2 लाख मृत्यु जन्म के ही दिन हो जाती है। जन्म के शुरुआती सात दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण भी एक प्रमुख कारण होता है।
– बेहतर गर्भनाल सुरक्षा प्रबंधन के लिए इन बातों का रखें ख्याल :
प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और माँ के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने देना जरूरी है। जिसमें 5 से 10 दिन लग सकते हैं। शिशु को बचाने के लिए नाल को हमेशा सुरक्षित और साफ रखना आवश्यक है ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके।
– लक्षणों पर दें ध्यान , बनी रहेगी शिशु की मुस्कान :
किसी कारणवश शिशु के गर्भनाल या उसके आस पास ऐसे लक्षण दिखें तो बिना देर किए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या किसी अनुभवी शिशु विशेषज्ञ की परामर्श लें ।
• नाल के आसपास की त्वचा में सूजन या लाल हो जाना
• नाल से दुर्गंध युक्त द्रव का बहाव होना
• शिशु के शरीर का तापमान असामान्य होना
• नाल के पास हाथ लगाने से शिशु का दर्द से रोना