66 हजार लोगों की कोरोना जांच कर चुके हैं लैब टेक्नीशियन
क्षेत्र के लोगों की कोरोना जांच करने में निभाई अपनी भूमिका
भागलपुर, 2 अगस्त-
कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी तो स्वास्थ्यकर्मियों को भी इसके बारे में बहुत कुछ पता नहीं था। उनलोगों के मन में भी आम आदमी की ही तरह डर का भाव था। ऊपर से खुद के साथ परिवार के सदस्यों के संक्रमित होने का खतरा। एक तरफ मरीजों की जांच कर कर्तव्य निर्वाहन की चुनौती थी तो दूसरी ओर कोरोना होने का डर। लेकिन जब कर्तव्य निर्वहन की बारी आई तो डर अपने आप पीछे छूट गया। यही कारण है कि दोनों लहरों में अब तक क्षेत्र के 66 हजार से अधिक लोगों की कोरोना जांच कर चुके हैं टेक्नीशियन राजकिशोर साह। पहली लहर में 30 हजार लोगों की कोरोना जांच की तो दूसरी में अब तक 36 हजार लोगों की कोरोना जांच कर चुके हैं।
खरीक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में पिछले 12 साल से काम कर रहे राजकिशोर कहते हैं कि ईमानदारी से कहूं तो शुरुआत में हमलोगों के मन में भी डर का भाव था। जब इस बीमारी की शुरुआत हुई थी तो सोचते रहते थे कि जब कोरोना मरीज क्षेत्र में मिलने लगेंगे तो जांच कैसे कर पाउंगा। इसे जिम्मेदारी का अहसास ही कह लीजिए कि खरीक में जब कोरोना मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो अपने आप मरीज की जांच करने की तरफ कदम बढ़ गए। उस समय मन में किसी तरह का डर नहीं रहा।
प्रतिदिन ढाई सौ मरीजों की कर रहे जांचः
राजकिशोर शाह अभी प्रतिदिन लगभग ढाई सौ मरीजों की कोरोना जांच कर रहे हैं। वह कहते हैं कि पहली लहर जब खत्म हो गई थी तो कोरोना जांच कराने के लिए कम ही लोग आ रहे थे, लेकिन जब दूसरी लहर शुरू हुई तो फिर से कोरोना जांच कराने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। इस बार दूसरी लहर खत्म होने के बावजूद हमलोगों ने जांच का सिलसिला जारी रखा है। लगातार लोगों की कोरोना जांच की जा रही है।
सावधानी का रखा ख्याल तो संक्रमित होने से बचे रहेः
पीएचसी के मैनेजर मधुकांत झा कहते हैं कि अब तो कोरोना जांच बहुत ही सामान्य बात हो गई है, लेकिन जब कोरोना की शुरुआत हुई थी तो उस समय इसे लेकर थोड़ी बेचैनी जरूर थी। हालांकि जब सभी टेक्नीशियन को ट्रेनिंग दी गई तो वे लोग सहज हो गए। राजकिशोर ने तो पिछले डेढ़ साल में हजारों लोगों की जांच की, उसमें सैकड़ों संक्रमित मिले , लेकिन अच्छी बात यह रही कि राजकिशोर संक्रमित नहीं हो सका। कहने का मतलब साफ है कि यदि आप सावधानी का ध्यान रखते हैं तो संक्रमित होने से बचे रहेंगे। आमलोगों को इससे सीख लेनी चाहिए।
परिवार का मिल रहा भरपूर सहयोगः
सहरसा जिले के महिषी थाना के झारा गांव के रहने वाले राजकिशोर शाह खरीक में किराये के मकान में रहते हैं। पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में रहते हैं। राजकिशोर कहते हैं कि शुरुआत में पत्नी थोड़ी डरी जरूर रहती थी, लेकिन जब उसे भी जब मेरी जिम्मेदारी का अहसास हुआ तो सपोर्ट करने लगी। मैंने भी सतर्कता का ख्याल रखा। ड्यूटी से घर आने के बाद कपड़े को बाहर रख स्नान करते के बाद ही घर के अंदर जाता था। इससे मेरे साथ मेरे बच्चे और पत्नी भी सुरक्षित रही। यही कारण रहा कि घर के सदस्यों का भी मुझे सहयोग मिला।