1028 स्कूलों में से 800 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं है-विजय गोयल
केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री विजय गोयल, सांसद श्री रमेश बिधूड़ी एवं सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने दिल्ली सरकार के शिक्षा के नाम पर किये गये तमाम खोखले दावों की पोल खालते के लिए संयुक्त प्रेस वार्ता की। इस प्रेस वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष श्री जय प्रकाश, मीडिया प्रभारी श्री प्रत्यूष कंठ, सह-प्रभारी श्री नीलकांत बक्शी एवं मीडिया प्रमुख श्री अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
श्री विजय गोयल ने कहा कि 4 साल बाद अरविन्द केजरीवाल लोकसभा चुनावों में अपनी दिल्ली सरकार के कामों का बढ़-चढ़कर बखान कर रहे हैं। जनता के सामने उसकी असलियत आनी चाहिए। हमने यह तय किया है कि अरविन्द केजरीवाल के दावों को तथ्यों के साथ खारिज किया जाए। श्री गोयल ने कहा कि दिल्ली में 1028 स्कूलों में लगभग 16 लाख बच्चे पढ़ते हैं। वे रिएल्टी चैक करने के लिए एक स्कूल में जाएंगे। जिन स्कूलों में कमरे बनाने की बात की गई है, उन स्कूलों में जाकर चैक करेंगे। प्रिंसिपल और टीचर्स से बात करेंगे।
श्री गोयल ने बताया कि केजरीवाल के झूठे दावों के प्रति जनता को जागरूक किया जाएगा।
5 लाख बच्चे फेल- पिछले 4 साल में एक जानकारी के अनुसार 5 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में फेल हुए हैं, जिनमें से 4 लाख बच्चों को दोबारा दाखिला नहीं दिया गया। इन बच्चों का भविष्य क्या होगा। सरकार ने इन बच्चों का हाथ छोड़ दिया है। जो केजरीवाल सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने की बात करती है, उसमें कितने बच्चे फेल हुए यह खुद ही जान लीजिए।
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार 9वीं में जो बच्चे फेल हुए, उनमें से 52 प्रतिशत को दोबारा दाखिला नहीं मिला, 10वीं, 12वी के 91 प्रतिशत और 11वी के 58 प्रतिशत बच्चों को दोबारा दाखिला नहीं दिया गया।
कक्षा छात्रों की संख्या जो वर्ष 2017-18 में फेल हुये फेल हुये छोत्रों की संख्या जिन्हें वर्ष 2018-19 में दोबारा दाखिला नहीं मिला उन फेल छात्रों का प्रतिशत जिन्हें वर्ष 2018-19 में दोबारा दाखिला नहीं मिला
10वीं 42503 38691 91 प्रतिशत
12वीं 10566 9623 91 प्रतिशत
2/-
फेल बच्चों के अभिभावकों का सम्मेलन- जो बच्चे फेल हो गए हैं और जिनको दिल्ली में केजरीवाल सरकर ने दोबारा दाखिला नहीं दिया है, उन बच्चों के अभिभावकों का एक सम्मेलन 16 अप्रैल को किया जाएगा। मैं केजरीवाल से पूछना चाहता हूं कि अगर एक बच्चा परीक्षा में फेल हो गया तो क्या जिन्दगी में फेल हो गया। यह फेल है या जेल है ? इन बच्चों के गरीब माता-पिता को भी यह पता चले कि केजरीवाल सरकार किस तरह से उनको धोखा दे रही है।
अध्यापक नहीं तो पढ़ाई कैसी-1028 स्कूलों में से 800 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं है, जबकि वाइस प्रिंसिपल को प्रमोट किया जा सकता है। जिन स्कूलों में प्रिंसिपल हैं उनमें से भी 78 प्रिंसिपल को डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन का ओएसडी बनाकर स्कूलों से दूर कर दिया गया है। एक स्कूल बिना प्रिंसिपल के कैसे चलेगा। आज भी 27,000 से ज्यादा टीचर्स की पोस्ट खाली पड़ी है। 27,000 टीचर्स की भर्ती समय से नहीं की गई, इसलिए गेस्ट टीचर्स रखे गए। दिल्ली सरकार के एक विभाग के आंकड़ों के अनुसार पीजीटी मैथ्स के लिए 135 में से एक भी टीचर पास नहीं हुआ।
दिल्ली स्कूल एजुकेशन रूल 138- दिल्ली स्कूल एजुकेशन रूल 138 के अन्तर्गत जो बच्चे फेल जो जाएं, स्कूल उनको दोबारा दाखिला देने से मना नहीं कर सकता। जो बच्चे फेल हो रहे हैं, उनको दाखिला नहीं दिया जा रहा। यह एक क्रिमिनल ओफेंस है। बच्चों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे नेशनल ओपन स्कूल से पढ़ाई करें या घर बैठ जाएं।
नए कमरे बनाने में धांधली- यह दावा किया जा रहा है कि 8000 कमरे हमने बना दिए, जो कि सरासर झूठ है। इनमें से हजारों कमरे कम्पलीट ही नहीं हुए और जो बने हैं वे बिना नक्शे के खेल के मैदान में बना दिए गए। यमुना विहार में गवर्नमेंट ब्याॅस सीनियर सैकेंडरी स्कूल जनकल्याण पोर्टा केबिन में चल रहा है। इसकी गैलरी में भी बच्चे बैठे हुए हैं। इसकी जो पुरानी बिल्डिंग बन रही है, जिसमें 40 क्लास रूम चाहिए, उसमें केवल 16 क्लास रूम बन रहे हैं। यहां एक पारी में 1300 बच्चे पढ़ रहे हैं। टाॅयलेट सिर्फ एक ही है।
एक-एक क्लास में 80 से 100 बच्चे- एक क्लास में 80 से 100 बच्चे हैं। तीन शिफ्ट में बच्चे पढ़ते हैं। सोमवार को 30, मंगलवार को 30 और बुधवार को 30 बच्चे। तो इस तरह से पढ़ाई क्या होती होगी।
सांसद श्री रमेश बिधूड़ी ने कहा कि शिक्षा व स्वास्थ के क्षेत्र में दिल्ली की जनता को ठगा गया है। दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में सरकारी पद का दुरूपयोग करके उपमुख्यमंत्री दिल्ली के अभिभावकों को पत्र लिखकर कह रहे है कि भाजपा को वोट न दे। आम आदमी पार्टी की औछी मानसिकता का यह स्पष्ट उद्धाहरण है। केजरीवाल सरकार ने नवीं कक्षा में 33 प्रतिशत बच्चों को जानबूझ कर फेल किया गया है ताकि शिक्षा के अपने तमाम दावों की जनता के बीच पुष्टि की जा सके। शिक्षा के अधिकार 2005 के अनुसार स्कूल के एक सेक्शन में 48 बच्चों से अधिक बच्चें नहीं पढ़ सकते है लेकिन दक्षिणी दिल्ली के मोलड़बंद, देवली, संगम विहार, तेहखण्ड के सरकारी स्कूलों में एक सेक्शन में 48 बच्चों से अधिक छात्र पढ़ने को मजबूर है जो कि कानून का उल्लघंन है। दिल्ली सराकर की शिक्षा के दावों की पोल अब दिल्ली की जनता के बीच खुल रही है और जनता आगामी चुनावों में इसका उचित जवाब देगी।
सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि शिक्षा के नाम पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की जनता के साथ धोखा किया है। हम अपनी बातों को तथ्यों के आधार पर कर रहे है। नवीं कक्षा में परीक्षा परिणाम बेहतर दिखाने के लिए जानबूझ कर बच्चों को फेल किया गया है इसकी जांच होनी चाहिए। नये 500 स्कूल बनाने का वायदा केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से किया। नये स्कूल तो बने नहीं उनकी जगह पर खानापूर्ति के लिए पूराने स्कलों में कमरे बनाये गये जो कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। स्कूलों के लिए टीचरों की भर्ती नहीं की गई है। दिल्ली सरकार के स्कूलों के दाखिले में 8 प्रतिशत की गिरावट भी आई है। नये स्कूल नहीं, नये टीचर नहीं और कमरों का कोई उपयोग नहीं तो फिर किस हिसाब से दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का राजनीतिक दुरूपयोग किया जा रहा है। दिल्ली में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद उप मुख्यमंत्री सत्ता का गलत इस्तेमाल कर भाजपा को वोट न देने की अपील वाला पत्र दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो के अभिभावकों को भेज रहे है। मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर जो बाक्स पश्चिमी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में बनाये गये है उनमें चिकित्सक नहीं केवल असमाजिक तत्व रहते है।