ब्रिटेन ने नई तकनीक में निवेश करने का फ़ैसला लिया है और साथ ही अपने पारंपरिक हथियारों को घटाने का भी निर्णय ले लिया। इस बारे में आईआईएसएस के विशेषज्ञ फ़्रांज़ स्टीफ़न गैडी कहते हैं कि इससे निश्चित तौर पर उसे अगले दो दशक में लाभ होगा लेकिन उससे पहले चिंता के हालात तो ज़रूर बनेंगे।
गैडी ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें अगले पांच से 10 वर्षों के भीतर बहुत ख़तरनाक दौर का सामना करना पड़ सकता है। अभी पारंपरिक हथियारों में भारी कटौती की जा रही है वहीं अभी उभर रही बहुत सी तकनीकी क्षमताएं तब इस्तेमाल के लायक परिपक्व नहीं होंगी”
ऐसे में अगले पांच से 10 सालों में पश्चिमी मुल्कों को सुरक्षा की ख़तरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अभी का दौर चिंताजनक है?
हालांकि मिशेल फ़्लोरनॉय ऐसा नहीं मानतीं. उनका मानना है कि सहयोगियों के साथ सलाह और साझेदारी के साथ सही जगहों पर निवेश करने से समाधान निकल सकता है
वो कहती हैं, “यदि हम अपने दिमाग़ को एक जगह लगाएं और सही तकनीक और सही सोच में निवेश करें और अच्छी गति और पैमाने पर इनका विकास करें, तो हम ताक़तवर देशों के बीच जंग टालने में भरसक सक्षम होंगे। हमें अपना लक्ष्य हासिल करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आज़ाद और खुला रखने के साथ उसका भविष्य उज्ज्वल बनाने में कामयाब होना चाहिए”