यू पी में भाजपा की कुछ दमदार महिला उम्मीदवार

मृगांका सिंह स्व. हुकुम सिंह की बेटी हैं पिछली बार भाजपा की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था जिससे वे खासी नाराज हुई थीं। हुकुम सिंह ने इस सीट से सात बार विधायक की कुर्सी हासिल की थी साथ ही वे एक बार सांसद भी चुने गए थे उनके निधन के बाद मृगांका सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला है। मृगांका के दो बार चुनाव हारने के कारण पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया था लेकिन इस बार उन्हें टिकट दिया गया है।

2017 में हुए ​विधानसभा चुनावों में डॉ. मंजू सिवाच ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बसपा के वहाब चौधरी को 66582 वोटों के अंतर से मात दी थी। यही कारण है कि भाजपा ने एक बार फिर सिवाच पर भरोसा जताया है। पेशे से चिकित्सक मंजू गैर राजनीतिक परिवार से हैं वे समाज सेवा और बेदाग छवि के लिए जानी जाती हैं। यही कारण है कि भाजपा ने फिर से उन्हें मैदान में उतारा है।

बुलंदशहर की खुर्जा विधानसभा सीट से मी​नाक्षी सिंह को भाजपा लेकर आई है। यहां पर बिजेंद्र सिंह खटीक का टिकट काटकर मीनाक्षी को मैदान में उतारा गया है। 2017 में बिजेंद्र ने यहां से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी यहां पर दलित और मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है। ऐसे में मीनाक्षी सिंह कितने वोट खींच पाती हैं यह देखने लायक होगा।

दिवंगत राज्य मंत्री विजय कश्यप की पत्नी सपना कश्यप पर भाजपा ने इस बार विश्वास जताकर टिकट दिया है। विजय कश्यप का कोरोनाकाल में निधन हो गया था, इसके बाद उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में सपना को सदस्य बनाया गया था। मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट पर मुस्लिम, कश्यप, जाट और ठाकुर जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है यही कारण है कि जातिगत समीकरण देखते हुए भाजपा ने सपना को मैदान में उतारा है।

भाजपा के लिए ये खास उम्मीदवारों में से एक है बाह विधानसभा सीट चम्बल क्षेत्र के अंतर्गत आती है इसलिए इन्हें बीहड़ की रानी के नाम से भी जाना जाता है। उनके पति राजा अरिदमन सिंह भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं। बाह में उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास रहा है इसलिए यहां की जनता इस परिवार के सपोर्ट में रहती है। पक्षालिका ठाकुर और ब्राह्मण वोट खींचने में सक्षम हैं यही कारण है कि भाजपा ने उन पर दांव खेला है।

राजबाला वर्तमान में रामपुर की मिलक से विधायक हैं। भाजपा ने एक बार फिर से उन्हें टिकट देकर उन पर विश्वास जताया है। 2017 में उन्होंने सपा प्रत्याशी विजय सिंह को मात दी थी। राजबाला की जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत है और जातीय आधार पर वे वोट खींचने में कामयाब हैं।

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