कोरोना महामारी के दौरान असम में मानव तस्करी के मामले बढ़े, NCRB के आंकड़े

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2020 में असम में मानव तस्करी के 124 मामले सामने आए। पिछले कुछ सालों में राज्य में इस तरह के अपराध में वृद्धि हुई है। जानकारों का कहना है कि महामारी के कारण बेरोजगारी के चलते मानव तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। क्योंकि इस काले कारोबार में शामिल लोग, गरीब व्यक्तियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं और उन्हें नौकरी का लालच देकर बेच दिया जाता है।

राज्य के कोकराझार जिले के गांव से 15 साल की लड़की को शादी का वादा करके बंगाल के सिलगुड़ी इलाके में बेच दिया गया। हालांकि चाइल्ड एक्टिविस्ट और पुलिस की मदद से उस लड़की को रिहा करा लिया गया। जांच में पता चला कि असम के ही रहने वाले एक 35 वर्षीय व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर लड़की से दोस्ती की और उसे झांसे में लेकर बेच दिया।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, साल 2018 में असम में मानव तस्करी के 308 केस दर्ज हुए, जो कि देश में महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा थे। वहीं 2019 में यह आंकड़ा 201 रहा और 2020 में मानव तस्करी के 124 मामले मिले। असम के अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, केरल, झारखंड और राजस्थान में भी मानव तस्करी के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। कोकराझार स्थित एंटी ट्रैफिकिंग एनजीओ निदान फाउंडेशन के दिगंबर नरजारी ने कहा कि ज्यादातर केसों में बच्चों की तस्करी हुई है और 2020 में भी यह सिलसिला जारी रहा। असम के 4 जिलों कोकराझार,चिरांग, बक्सा और उदलगरी में चाइल्ड ह्यूमन ट्रैफिकिंग के 144 मामले सामने आए हैं।

दिगंबर नरजारी ने कहा कि पिछले साल भी बोडोलैंड रीजन के 4 जिलों में बाल तस्करी के 156 केस मिले थे, जो कि राज्य में होने वाली मानव तस्करी का सबसे बड़ा आंकड़ा है। नरजारी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में बाहर काम कर रहे लोगों की राज्य में वापसी हुई, इसके अलावा रोजगार के साधन ठप होने और स्कूल बंद होने जैसे कारणों की वजह से मानव और बाल तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले राज्य में लोग बाहर से आकर महिलाओं और बच्चों को लालच देकर मानव तस्करी की घटना को अंजाम देते थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी बढ़ने की वजह से इन अपराधियों के सब एजेंट नौकरी के बहाने लोगों की मानव तस्करी करने लगे।

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