जलियांवाला बाग के शहीदों की बलिदानी अमरगाथा के 100वें वर्ष को समर्पित सभा।
तरंग संवाददाता: नई दिल्ली: 14अप्रैल आज जलियांवाला बाग के शहीदों की बलिदानी अमरगाथा के 100वें वर्ष को समर्पित सभा का आयोजन राष्ट्रीय सिख संगत, राष्ट्रीय गोधन महासंघ, कन्फेडरेशन ऑफ एन जी ओ ऑफ इंडिया द्वारा विश्व युवा केन्द्र, पंडित उमा शंकर दीक्षित मार्ग, तीन मूर्ति रोड, नई दिल्ली में किया गया।
सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन तभी अचानक वहाँ गोलिया बरसने लगी। लगभग दस मिनट तक गोलियां उगलने के बाद बंदूकें ख़ामोश हो गयीं. लोग चीख़-चिल्ला रहे थे। गुरमेल ने वोटी से पूछा – ‘तू ठीक तो है?’ कौर बीवी ने रोते-रोते अपने और बच्चे की सलामती कही और गुरमेल से पुछा – ‘तुस्सी ते ठीक हो?’ गोली उसकी कमर में लगी थी. वह लुढ़क गया। इलाज का कोई साधन नहीं था। नगर में कर्फ्यू था। वहां उपस्थित ज्यादातर लोगों की कुछ ऐसी ही कहानी थी।
इसके आगे कुछ तथ्य
जलियांवाला बाग में उस दिन 1650 राउंड फायर हुए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 379 लोग मारे गए थे, 1500 घायल हुए थे। हालांकि मरने वालों की तादाद 1000 के आसपास थी। इसके बाद हंटर आयोग बिठाया गया था. आयोग की रिपोर्ट में ब्रिगेडियर जनरल डायर को दोषी क़रार दिया गया और उसे बर्ख़ास्त करने की सिफ़ारिश की गयी थी। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इस नरसंहार के विरोध में अपना नोबेल पुरस्कार वापस कर दिया और सरदार उधम सिंह ने पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’ ड्वायर की लंदन में गोली मारकर हत्या कर दी. ड्वॉयर ने बाग में जनरल डायर की कार्रवाई का समर्थन किया था. गांधी जी ने भी अपना असहयोग आंदोलन तेज़ कर दिया था। बिपिन चंद्र लिखते हैं – ‘भारत के साथ उनके प्रयोग शुरू हो गए थे। ’
चर्चिल ने इसके ख़िलाफ़ सबसे कड़ा बयान दिया था । उसने कहा – ‘ब्रिटेन के इतिहास में इससे बड़ी दानवीय घटना नहीं हो सकती। इसका कोई सानी नहीं है। ’
जलियांवाला बाग नरसंहार ऐसा हत्या कांड था जिसने चर्चिल जैसे हिंदुस्तान विरोधी के दिलो – दिमाग को भी हिलाकर रख दिया था।