कृषि में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए कीटनाशकों की खपत बढ़ रही है। बीमारी और कीड़ों से नुकसान को रोकने के लिए कीटनाशकों के जहर के प्रभाव से 38 मिलियन लोग बीमार हैं, जिन्हें उल्टी, दस्त, चक्कर आना और तंत्रिका तंत्र से संबंधित विभिन्न समस्याएं हैं।
अधिकांश किसान या कृषि मजदूर अन्य सुरक्षा के बिना दवा छिड़क रहे हैं, इसलिए 11,000 से अधिक किसान हर साल इन दवाओं प्रभाव से पीड़ित होते हैं। केले में, किटोनर्स तितलियों के पेट में अच्छे बैक्टीरिया को छोड़ने के लिए जिम्मेदार थे। किट और आदमी के शरीर के शरीर में बैक्टीरिया एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यूरोप के देशों में, कई कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन उन्हीं देशो की कंपनियां भारत जैसे देशों में मुनाफे के लिए अनेक प्रकार के बेच रही हैं। भारत में साल 2020 में, कीटनाशक दवाओं का उत्पादन करने वाली शीर्ष 4 कंपनियाों के व्यापार में 4% की वृद्धि हुईं। उन्होंने 31 अरब यूरो डॉलर के कीटनाशक उत्पाद यहां बेचे।
इस जहर से बचना हमारे लिए अति आवश्यक है और इसके लिए हमें पारम्परिक और गैर रसायनिक प्राकृतिक एवं हर्बल कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। इससे देश में अपने कीटनाशकों का उत्पादन भी बढ़ेगा और अनेक प्रकार के रसायनिक जहरों से भी बचाव होगा।
भारत जैसे देशों में आंकड़े बताते हैं कि जहरीली रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से हम जितना उत्पादन बढ़ाकर मुनाफा कमाते हैं उससे दोगुना हम उन कीट नाशकों के दुष्प्रभाव से उत्प्न्न बिमारियों के इलाज में खर्च करते हैं और उससे भी भयानक स्तिथि है जब गंभीर बीमार लोगों की जान चली जाती है।