मुंगेर जिला में कोविड के साथ नियमित टीकाकरण पर भी दिया जा रहा जोर

  • गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी 
  • संस्थागत प्रसव को लेकर भी गर्भवती महिलाओं को किया गया जागरूक 

मुंगेर, 18 फरवरी-

जिला  में नियमित तौर पर लगातार कोविड वैक्सीनेशन अभियान तो चल ही रहा व साथ ही गर्भवती और शिशु के नियमित टीकाकरण पर भी जोर दिया जा रहा है । ताकि गर्भवती एवं शिशु का ससमय नियमित टीकाकरण भी सुनिश्चित हो सके और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल सके। इसे सार्थक रूप देने के लिए जिला के विभिन्न ऑगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ ही संबंधित क्षेत्र की एएनएम द्वारा सेविका एवं आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से गर्भवती एवं शिशु का नियमित टीकाकरण किया जा रहा है।

मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियों को रोकने या बचाव के लिए नियमित तौर पर टीके दिए जाते हैं। मुख्यतः तपेदिक (टी.बी), डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खांसी), टेटनस, खसरा (मिजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) जैसी बीमारियों से बचाव को लेकर टीकाकरण किया गया है । भविष्य में किसी भी बच्चे को बीमारियों से बचाया जा सकता है। नियमित रूप से दिए गए पर्याप्त खुराक के बाद नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित किया जा सकता है । ताकि आने वाले दिनों में वह इन घातक या अपंग करने वाली बीमारियों से काफी हद तक बचा रह सके। हालांकि बाद के दिनों में ऐसे बच्चे को टेटनस टॉक्साइड वैक्सीन के अतिरिक्त अन्य टीकाकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

  • गर्भवती और शिशु के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी : 
    जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया, सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने एवं शिशु के स्वस्थ्य शरीर निर्माण के लिए समय पर नियमित टीकाकरण जरूरी है। इसलिए, कोविड के साथ नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का भी आयोजन कर योग्य लाभार्थी का नियमित टीकाकरण किया जा रहा है ताकि ससमय पर नियमित टीकाकरण भी सुनिश्चित हो सके।  उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण के दौरान शून्य से दो वर्ष तक के बच्चों को बीसीजी, ओपीवी, पेंटावेलेंट, रोटा वैक्सीन, आईपीवी, मिजल्स, विटामिन ए, डीपीटी बूस्टर डोज, मिजल्स बूस्टर डोज और बूस्टर ओपीवी के टीके लगाए जाते हैं। गर्भवती को टेटनेस-डिप्थीरिया का टीका भी लगाया जाता है। नियमित टीकाकरण बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारी से बचाव करता है। साथ ही प्रसव के दौरान जटिलताओं से सामना करने की भी संभावना नहीं के बराबर रहती है। 
  • संस्थागत प्रसव को लेकर भी किया जाता है जागरूक : 
    सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया कि गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार वालों को संस्थागत प्रसव को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है। इस दौरान यह बताया जा रहा है कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव के दौरान सुरक्षा के हर मानकों का ख्याल रखा जाता है। योग्य एवं प्रशिक्षित एएनएम द्वारा चिकित्सकों की मौजूदगी में प्रसव करायी जाती है। इसलिए, सुरक्षित और सामान्य प्रसव को अपनाने के लिए संस्थागत प्रसव को ही प्राथमिकता देने की जरूरत है। 

नियमित टीकाकरण की शत प्रतिशत सफ़लता के लिए समय- समय पर किया जाता है प्रचार प्रसार : डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया बच्चों को नियमित रूप से दिए जाने वाले टीकाकरण की शत प्रतिशत सफलता के लिए राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ (एआईएच) के द्वारा प्रचार प्रसार किया जाता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि नियमित रूप से दिए जाने वाले टीके की जानकारी मिल सके। इसके साथ ही ज़िले में यूनिसेफ के सहयोग से चलाये जा रहे नियमित टीकाकरण जैसे- जन्म के तुरंत बाद बीसीजी, हेपेटाइटिस, पोलियो, रोटा, पीसीवी, खसरा/ के साथ ही विटा मिन ए का खुराक नियमित रूप से लेना जरूरी ज़रूरी होता है।

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