दिल्ली सरकार के 52,584 मकान आबंटन के लिए उपलब्ध जर्जर हो रहे हैं पर सरकार को उन्हें आवंटित करने की सुध नहीं-विजेन्द्र गुप्ता

मुख्यमंत्री राजनीतिक द्वेष त्याग कर गरीबों को मकान आबंटित करें-विजेन्द्र गुप्ता

नेता विपक्ष, श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के परिवारों को अपना मकान का सपना साकार कराने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना को दिल्ली में राजनीतिक द्वेष भावना से लागू नहीं होने दिया है। इस प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया के प्रभारी श्री प्रत्युष कंठ एवं मीडिया प्रमुख श्री अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
इस योजना के अन्तर्गत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के अतिरिक्त झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियों में रहने वाले चार लाख परिवारों को भी अपना मकान उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाने की व्यवस्था की गई थी। दिल्ली में 675 झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियां हैं। इनमें से 478 बस्तियां केंद्र सरकार की भूमि पर और 197 बस्तियां दिल्ली सरकार की भूमि पर हैं। इनमें सेे 1.5 लाख परिवार दिल्ली सरकार की भूमि पर तथा 2.50 लाख परिवार केन्द्र सरकार व अन्य केन्द्रीय संस्थाओं की भूमि पर बसे हुए हैं। इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा प्रति झुग्गी-झोंपड़ी परिवार को 1.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जानी थी। मुख्यमंत्री ने दिल्ली में केन्द्र सरकार की अनेकों महत्वकांक्षी योजनाओं को लागू नहीं होने दिया इनमें से प्रमुख हैं:- आयुष्मान भारत, दिल्ली-मेरठ रैपिड रिजिनियल ट्रांस्पोर्ट सिस्टम, मैट्रो फेस-4 आदि।
नेता विपक्ष ने कहा कि वर्ष 2015 में लागू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना को राजनीतिक दुर्भावना से ग्रस्त होकर दिल्ली सरकार ने इसे क्रियान्वित करने में प्रारम्भ से ही रोड़े अटकाए। दिल्ली सरकार ने प्रारम्भ में ही इस योजना को लागू करने से ही इंकार कर दिया था। इसके कारण लगभग एक वर्ष तक यह योजना फाईलों में उलझी रही। दिल्ली सरकार के डूसिब को प्रारम्भ में ही प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए नोडल एजेंसी बना दिया गया था। मगर इस योजना के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर करने में दिल्ली सरकार ने देरी की। बाद में डूसिब, डीडीए और केन्द्र सरकार के बीच एमओयू साईन किया गया। दिल्ली सरकार ही सभी अपनी जमीन के अलावा केन्द्र सरकार की जमीन पर बसी झुग्गियों के लिए सर्वे करवाएगी। इसके लिए डीडीए ने 27 झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियों में सर्वे करवाए जाने के लिए डूसिब को 50 प्रतिशत रुपये 5,83,425 रूपए अग्रिम राशि के तौर पर जमा कराए। इसके बावजूद भी डूसिब की 29 नवम्बर, 2018 को हुई स्टेट लेवल सैंक्शनिंग एन्ड मोनिटरिंग कमेटी फार रिहैबिलिटेशन में दिल्ली सरकार ने सूचित किया कि उसके द्वारा सर्वे को रोक दिया गया है क्योंकि दिल्ली सरकार ने योजना का नाम बदल दिया है। बैठक में इस निर्णय की सूचना काफी चैंकाने वाली थी। इससे सारी योजना ठप्प हो गई। सरकार ने केन्द्र और डीडीए के चेताए जाने के बावजूद भी फिर से सर्वे प्रारंभ नहीं किया है। अब योजना का नाम मुख्यमंत्री आवास योजना कर दिया गया है।
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार का असहयोगपूर्ण रवैया अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। दिल्ली में इस समय 675 झुग्गी-झोंपड़ी समूहों में लगभग 4 लाख परिवार रहते हैं। जिस भूमि पर ये झुग्गी-झोंपड़ी समूह बसे हुए हैं उसकी मिलकियत विभिन्न सरकारी एजेंसियों की है। जिनमें प्रमुख हैं डीडीए, रेलवे, लैंड एन्ड डेवलपमेंट आफिस तथा केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग। दिल्ली सरकार की राजनीतिक द्वेष भावना के शिकार गरीब परिवार हुए हैं, जिनका राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है। समाज के ऐसे वर्ग को अपनी ओछी राजनीति का शिकार बनाना दिल्ली सरकार को कतई शोभा नहीं देता।
विपक्ष के नेता ने कहा कि केजरीवाल सरकार को गरीबों को मकान उपलब्ध कराने की कोई परवाह नहीं है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए जवाहर लाल नेहरू अरबन रिनूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) परियोजनाओं के अन्तर्गत दिल्ली सरकार की डीएसआईडीसी के 34,260 फ्लैट बवाना, नरेला, धोरगड़, घोघा, बपरोला, फूटखुर्द तथा टीकरीकलां में तथा डूसिब के 18,084 मकान द्वारका, सावदाघेवरा, सुल्तानपुरी तथा जहाॅंगीरपुरी में तैयार खड़े हैं। इसके अतिरिक्त बक्करवाला परियोजना के अन्तर्गत उत्तरी दिल्ली नगर निगम के भी 240 मकान हैं, जिनका आवंटन भी दिल्ली सरकार द्वारा किया जाना है। इस प्रकार कुल मिलाकर दिल्ली सरकार के पास 52,584 मकान आवंटन के लिए उपलब्ध हैं। इनमें से अधिकतर मकान पिछले 6 वर्षों से बने खड़े हैं। यह मकान जर्जर हुए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार इनके रख-रखाव के लिए वर्ष 2018-19 संशोधित बजट में 600 करोड़ रूपए व्यय कर रही है। असामाजिक तत्व इनमें से भवन सामग्री चोरी करके निकालकर ले जा रहे हैं। परन्तु सरकार को इसकी कोई चिन्ता नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 58वें वायदे के अन्तर्गत कहा था कि झुग्गीवासियों को मोजूदा बस्तियों में भूखंड या फ्लैट उपलब्ध करवाए जाएगंगे । यह सम्भव नहीं हुआ तो उनको निकटतम बस्ती में ही पुर्नवास किया जाएगा । आज स्थिति इतनी बदतर रही कि सरकार ने 52,584 बने हुये मकानों में से एक भी मकान आवंटित नहीं कर पाई है। इतना ही नहीं उसकी वादाखिलाफी के कारण हजारों परिवार मकान की आस में सरकार को दी गई राशि के लिये गये कर्ज के भीषण जाल में फंसकर रह गये।
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा झुग्गीवासियों की पात्रता के लिये 25 फरवरी, 2013 को नीति तैयार की गई थी इसके अनुसार झुग्गीवासियों से 68,000 रूपये लाभार्थी अंश के मद में अग्रिम राशि के रूप में लिये गये थे। इसके उपरांत जिनकी पात्रता का निर्धारण दिल्ली स्लम व जे.जे. पुनस्र्थापना एवं पुनर्वास नीति, 2015 के अनुरूप किया गया, उनसे 1,12,000 रूपये अग्रिम राशि के रूप में लिये गये। इसके अतिरिक्त सभी लाभार्थियों से 30,000 रूपये 5 वर्ष के आवंटित फ्लेट के रखरखाव के मद में प्राप्त किये गये। अभी तक इन दोंनों मदों में 5200 झुग्गीवासियों से कुल 39.40 करोड़ रूपये वसूल किये गये। केजरीवाल सरकार ने पुराने बने मकानो में से न्यायालय के आदेश पर मात्र 1469 फ्लेट ही आवंटित किये हैं। इसके कारण हजारों परिवारों को न तो फ्लैट मिला और न ही जमा कराई गई राशि। वे कर्ज के मकड़जाल में बुरी तरह फंसे हुये हैं।
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