वैज्ञानिको का मानना है कि लावारिस रॉकेट से टूटकर अलग हुआ करीब 3 टन वजनी हिस्सा, 9300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह से अब तक टकरा चुका होगा। इसके भारतीय समयानुसार शुक्रवार शाम करीब 6 बजे के आस पास चांद की सतह से टकराने की संभावना थी।
चांद की सतह के जिस तरफ रॉकेट का यह हिस्सा टकराया है, वह सुदूर ऐसी जगह है, जहां तक धरती की दूरबीनों की नजर नहीं पहुंचती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सैटेलाइट चित्रों की मदद से इस टक्कर की पुष्टि करने में कई सप्ताह या कई महीने भी लग सकते हैं।
तीन टन वजनी इस रॉकेट के टुकड़े को कई वर्षों तक ट्रैक किया गया, लेकिन इसकी उत्पत्ति पर विवाद है। खगोल विज्ञानियों ने पहले कहा कि यह रॉकेट कचरा एलोन मस्क की SpaceX फर्म से संबंधित हो सकता है, फिर कहा कि यह चीनी रॉकेट का हिस्सा था। हालांकि, चीन ने इससे इनकार किया है। चंद्रमा की सतह से इसके टकराने का प्रभाव मामूली होगा, ऐसा वैज्ञानिकों का मानना है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन टन वजन वाले इस कचरे के चांद की सतह से टकराने पर इतना बड़ा गड्ढा हो सकता है, जिसमें ट्रैक्टर जितने बड़े कई वाहन समा जाएंगे। वैज्ञानिकों को आने वाले दिनों या हफ्तों में इसकी पुष्टि होने की उम्मीद है। लावारिस रॉकेट के इस हिस्से को चांद की ओर बढ़ते पहली बार मार्च 2015 में पृथ्वी से देखा गया था।