जन्म से अंधी, IIT-बेंगलुरु से गोल्ड मेडेलिस्ट को किसी ने नहीं दी नौकरी, कंपनी बनाकर अंधे बच्चों को पढ़ाती हैं

कदम-कदम पर बाधाओं का सामना करने के बावजूद विद्या वाई ने पोस्ट-ग्रेजुएशन में न केवल स्वर्ण पदक हासिल किया, बल्कि आज विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित विषयों में नेत्रहीन लोगों को पढ़ाई के लिए मदद कर रही हैं।

विद्या बताती हैं कि नेत्रहीनों के लिए इन विषयों को पढ़ाने के लिए कोई सामग्री उपलब्ध नहीं थी। पीयूसी के बाद उन्होंने बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन से पूरा करने के बाद उन्होंने IIT-बेंगलुरु में डिजिटल सोसाइटी प्रोग्रामिंग में मास्टर प्रोग्राम में गोल्ड मेडल हासिल किया।

इसके बावजूद कोई भी कंपनी उन्हें काम पर रखने को तैयार नहीं थी तभी उन्होंने इस धक्के को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया। एक उद्यमी के रूप में उन्होंने अंधे छात्रों के लिए एसटीईएम शिक्षा को सुलभ बनाने का काम शुरू किया।

विद्या, एक आईटी पेशेवर सुप्रिया डे और संस्थान के प्रोफेसर अमित प्रकाश ने मिलकर विजन एम्पॉवर (वीई) की स्थापना की। वीई ने दुनिया का सबसे किफायती ब्रेल पुस्तक भी विकसित किया है।

विजन एम्पावर वर्तमान में छह राज्यों के 30 से अधिक स्कूलों के साथ काम कर रहा है।

इस वर्ष वे 300 से अधिक स्वयंसेवकों की सहायता से 18,000 से लोगों को इसका लाभ देने में सफल रहे. आने वाले वर्ष के लिए देश भर के 100 स्कूलों तक पहुंचने की उनकी योजना है।

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