चंद्रमा पर खनिजों के उत्खनन की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुमति दी गई है। आर्टेमिस समझौते के अंतरराष्ट्रीय कानून को मंजूरी दे दी गई है। वर्तमान में चंद्रमा की इस शोषण गतिविधि को वैज्ञानिक मिशन का नाम दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने 18वीं बाह्य अंतरिक्ष संधि पर हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार, किसी भी देश को चंद्रमा के अलावा अन्य ग्रहों में खनिजों का स्वामित्व नहीं मिल सकता है। इन ग्रहों का उपयोग केवल वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
हालांकि अंतरराष्ट्रीय कानून अभी भी मौजूद है, आर्टेमिस समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून में मामूली बदलाव के साथ चंद्र सतह पर खुदाई की अनुमति देता है। इसका सीधा फायदा अमीर देशों को होगा।
आर्टेमिस समझौते नामक समझौते पर 15 अगस्त, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे। नासा के प्रस्ताव के तहत मनुष्य को चंद्रमा पर और अधिक वैज्ञानिक शोध करने का अवसर मिलेगा। नाम साइंटिफिक रिसर्च है, लेकिन यह ज्यादातर खनन पर निर्भर करता है।
न केवल चंद्रमा, बल्कि इस स्पष्टीकरण को अंतरिक्ष खनन की व्यापक परिभाषा से देखा जाता है। अब तक अंतरिक्ष में सिर्फ रिसर्च होती थी, सैंपल कलेक्ट किए जाते थे। अब खनन कर इसका फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।
इस समझौते के हिस्से के रूप में, नासा ने अंतरराष्ट्रीय खनन कानून की सिफारिश की, जिसे मंजूरी दे दी गई। अंतरिक्ष यात्रा के लिए उपयोगी ऑक्सीजन, पानी, हाइड्रोजन आदि पर शोध करने का द्वार खुल गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस चंद्र संसाधन का उपयोग खगोल विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए किया जाएगा, लेकिन लंबे समय में यह तय है कि इन सभी खनिजों का लाभ अमीर देशों को मिलेगा।