परिवार के साथ पेड़ के नीचे बिताया 1 साल, अब पर्यटन के लिए बन गया रोल मॉडल

राजस्थान के सीकर क्षेत्र के कटराथल गांव के कान सिंह निर्वाण आज पूरे देश में एक जाना-पहचाना नाम है। एक समय था जब केवल पढ़े-लिखे कान सिंह को ही तय करना होता था कि क्या करना है। कान सिंह ने भीड़ में शामिल नहीं होने और अपनी एक अलग पहचान बनाने का फैसला किया था। कान सिंह का मानना ​​था कि एक ऐसी रेखा खींची जानी चाहिए जिसका पालन पीढि़यां कर सकें और यह काम उसकी जड़ों से जोड़कर किया जा सकता है।

कान सिंह ने करीब 1 साल पेड़ के नीचे बिताया। उनके साथ उनकी पत्नी, बच्चे, गाय और घोड़े पेड़ के नीचे थे। इसकी कोई छत नहीं थी। पूरे 1 साल तक ये लोग सर्दी, गर्मी और बारिश को सहते रहे।

जिसके बाद जब कान सिंह निर्वाण ने अपना घर बनाया तो उन्होंने अपना 80 प्रतिशत सामान अपने खेत से ले लिया और उन्हें लगा दिया। आज कान सिंह निर्वाण पूरे देश में ग्रामीण पर्यटन के लिए एक आदर्श के रूप में उभरा है

कान सिंह निर्वाण का घर 48 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी आरामदायक हो सकता है और -5 डिग्री सेल्सियस पर भी हमें ठंड नहीं लगती है। इसे देखने के लिए रोजाना देश-विदेश से करीब 50 लोग आते हैं। कान सिंह ऐसे सभी लोगों को प्रकृति की भाषा दिखाते, सिखाते और संप्रेषित करते हैं और साथ ही प्रकृति आधारित जीवन शैली अपनाने की बात करते हैं इससे लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं।

प्राकृतिक जीवन ने बनाया परिवार, खेत, पशु रोग मुक्त

जीवन के इस प्राकृतिक तरीके को अपनाने से उनके परिवार में तीन काम हुए हैं। पहले उनके जानवरों को कभी डॉक्टर की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि जानवर कभी बीमार नहीं पड़ते थे। डॉक्टर उनके परिवार के पास नहीं आए हैं क्योंकि किसी भी सदस्य को कोई बीमारी नहीं हुई है। उनका खेत कभी संक्रमित नहीं हुआ।

दुनिया में कृषि और पर्यावरण से जुड़ी कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे गाय के साथ जोड़कर हल नहीं किया जा सकता है। ऐसा कोई रोग नहीं है जो गाय के गोबर से ठीक न हो सके। कान सिंह का कहना है कि अगर भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनना है, तो वह ताकत देश के किसानों से आ सकती है, न कि सेना, वैज्ञानिकों या कॉरपोरेट्स से। एक किसान ही भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बना सकता है।

सरकार की नीति किसान के लिए सही होगी तो बढ़ेगा ग्राम पर्यटन :

पूरे विश्व में फाइव स्टार टूरिज्म की करेंसी घट रही है। लोगों ने पहले सुविधा देखी फिर माहौल फिर खाना। अब यह आदेश उलट दिया गया है। लोग पहले खाने के बाद पर्यावरण को देखते हैं और फिर सुविधाओं को देखते हैं। इसलिए ग्राम पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे गांव में रोजगार बढ़ेगा, किसानों की आय बढ़ेगी। साथ ही इससे संस्कृति और ज्ञान का आदान-प्रदान होगा।

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