महाकुंभ में आकर थाईलैंड के चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय के शोध छात्र महेशानंद बन गए, रूस से आई वोल्गा गंंगा बन गई। जापान की कुमिको और जर्मनी के पीटर मार्ट भी संन्यासी चोला रंगाकर सनातन संस्कृति को समझने का प्रयास कर रहे हैं। सात समंदर पार से आए यह लोग महाकुंभ में कल्पवास के कठिन अनुशासन से लेकर जप, तप, ध्यान की परंपरा को भी आत्मसात कर रहे हैं।
संगम तट पर बसी तंबुओं की नगरी में पूरी दुनिया पर सनातन का रंग चढ़ा दिखाई दे रहा है। श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े के नागाओं से गुलजार आवाहन नगर की गलियों में थाईलैंड, रूस, जर्मनी से लेेकर जापान तक के युवा सनातन संस्कृति को समझने के लिए घूमते नजर आए।
बुधवार को जब कुछ विदेशी लोग बवासा मृगछाला वाले वस्त्र को धारण कर संन्यासी वेश में वैजयंती की माला धारण कर घूमने निकले तो उनको देखने और बात करने के लिए लोग उत्सुक हो उठे। वह श्रद्धालुओं, संतों से हाथ मिलाते तो कभी सिर झुका कर अभिवादन करते।