-पंजवारा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एएनएम सविता कुमारी की कहानी
-कोरोना काल में बेहतर कार्य करने के लिए प्रमंडल स्तर पर भी मिल चुका है पुरस्कार
बांका, 26 मई
चुनौतियों को मात देना आसान नहीं होता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न सिर्फ चुनौतियों को मात देते हैं, बल्कि उससे आगे भी निकल जाते हैं। इसी श्रेणी में आती हैं बाराहाट प्रखंड के पंजवारा स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एएनएम सविता कुमारी। कोरोना काल की जब शुरुआत हुई थी तो हर किसी के मन में भय था। लोग कोरोना का नाम सुनकर ही डर जाते थे, लेकिन सविता कुमारी न सिर्फ अपनी ड्यूटी पर मुस्तैदी से डटीं रहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने से लेकर मानसिक तौर पर समर्थन देने का भी काम किया। एक समय तो ऐसा आया जब सविता खुद भी संक्रमित हो गईं। साथ में परिवार के सभी सदस्य भी कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसी परिस्थिति में इन्होंने सेवा करने का दूसरा जरिया अपनाया। मोबाइल फोन के माध्यम से कोरोना मरीजों औऱ क्षेत्र के लोगों की सेवा जारी रखी। लोगों को फोन पर ही कोरोना के प्रति जागरूक करती रहीं। सविता कुमारी अपने क्षेत्र में भी लोगों से काफी घुली-मिली हैं। इस वजह से जब भी लोगों को किसी भी तरह की आशंका होती तो सविता को ही कॉल करते थे। फोन पर ही वह लोगों को कोरोना के लक्षण और उससे बचाव के बारे में बतातीं। अगर किसी में लक्षण दिखता तो उसे तत्काल कोरोना जांच कराने और एहतियात बरतने की सलाह देती थीं। सविता के काम को स्वास्थ्य विभाग ने भी पहचाना और प्रमंडल स्तर पर भागलपुर में उन्हें कोरोना काल में बेहतर कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।लोगों को समझने की करती हूं कोशिशः सविता कहती हैं कि मैंने 2005 से बतौर एएनएम कार्य करना शुरू किया है। कई जगहों पर मेरी पोस्टिंग हुई। सभी जगहों पर मैंने अपना काम ईमानदारी से किया। मैं जहां भी जाती हूं, सबसे पहले वहां के लोगों को समझने की कोशिश करती हूं। लोगों को जब समझ लेती हूं तो उनके साथ काम करना आसान हो जाता है। इस बात को समझ जाती हूं कि इनके साथ कैसे काम करना है। अभी दो साल से कोरोना आया है, लेकिन इसके पहले टीकाकरण करने, प्रसव कराने या फिर काउंसिलिंग के काम में भी मैंने क्षेत्र के लोगों को लगातार जागरूक किया।टीकाकरण में भी अहम योगदानः क्षेत्र के लोगों को जागरूक कर टीका लगाने में सविता को महारत हासिल है। सविता कुमारी कहती हैं कि जब कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी तो लोग इससे घबराते थे। कोरोना टीका का नाम सुनकर ही लोग भागने लगते थे। तब मैंने समझा कि इसे लेकर पहले लोगों को जागरूक करना होगा। घर-घर गई। घर की महिलाओं को समझाया। इससे मेरा काम आसान हो गया। आज हमारे क्षेत्र के अधिकतर लोगों का टीकाकरण हो चुका है। अब तो कोरोना टीका के साथ नियमित टीकाकरण भी चल रहा है। क्षेत्र के लोग बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रहे हैं।