चुनौतियों को दरकिनार कर समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुँचाई स्वास्थ्य सुविधा का लाभ

  • सराहनीय कार्य की बदौलत आशा कार्यकर्ता संयुक्ता देवी ने इलाके में बनाई अपनी अलग पहचान
  • कोविड क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए जिलास्तर पर डीएम के हाथों हो चुकी सम्मानित

बाँका, 27 मई-

सामुदायिक स्तर पर बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुँच सके, इसको लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। ताकि एक भी जरूरतमंद स्वास्थ्य सेवा से वंचित नहीं रहे और समाज के आखिरी व्यक्ति को सुविधाजनक तरीके से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ मिल सके। जिसे सार्थक रूप देने के लिए स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा कार्यकर्ता भी पीछे नहीं है। बल्कि, समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा को पहुँचाने एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से लोगों को जोड़ने के लिए अपने कर्तव्य पथ पर चुनौतियों और परेशानियों का सामना करने के बाद भी अग्रसर है। ऐसे ही आशा कार्यकर्ताओं में जिले के अमरपुर रेफरल अस्पताल में कार्यरत सलेमपुर दक्षिण क्षेत्र की आशा संयुक्ता देवी का पूरे इलाके में नाम शुमार है। संयुक्ता, ना सिर्फ लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुँचाने में सफल रही हैं। बल्कि, लोगों को सरकारी स्वास्थ्य से जोड़ने में भी सफल रही।

  • कोविड क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए डीएम के हाथों हो चुकी हैं सम्मानित :
    रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ सुनील कुमार चौधरी ने बताया, आशा कार्यकर्ता संयुक्ता देवी परिवार नियोजन, टीकाकरण, कोविड, प्रसव, गृह भ्रमण समेत स्वास्थ्य से संबंधित अन्य क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रही है। कोविड क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारी के हाथों सम्मानित की जा चुकी है। संयुक्ता को वर्ष 2006 में आशा की नौकरी मिली। इसके बाद उसने अपने क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया। किन्तु, तब लोगों को समझाना और समाज में चल रही भ्रांतियाँ को दूर कर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करना आसान नहीं थी। इस दौरान संयुक्ता को अपने क्षेत्र के लोगों की काफी आलोचना, विरोध समेत तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह इन परेशानियाँ से कभी घबराई नहीं। बल्कि, सकारात्मक उम्मीद के साथ अपने कार्य पर डटी रही है। जिसका नतीजा यह हुआ कि जैसे-जैसे समय बीतते गया, वैसे-वैसे लोगों में सकारात्मक बदलाव होने लगा और संयुक्ता की राह धीरे-धीरे आसान भी होने लगी। यही नहीं, जिसने शुरुआती दौर में जितना विरोध किया, वो उतना ही बदलते दौर के साथ समर्थक भी बनने लगा।
  • कोविड के मुश्किल भरे दौर में भी लोगों तक पहुँचाती रही स्वास्थ्य सेवा :
    कोविड के मुश्किल भरे दौर में जब लोग घरों से बाहर निकलना खुद को महफूज नहीं समझ रहे थे। अपनों से भी दूरी बनाने लगे थे। तब ऐसे मुश्किल भरे दौर में भी आशा कार्यकर्ता संयुक्ता देवी अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटी, बल्कि अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रही और लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाती रही। परिवार नियोजन के प्रति भी सामुदायिक स्तर पर लोगों को पुराने ख्यालातों और भ्रांतियों से दूर कर बेहतर कार्य करने में सफल रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य से संबंधित अन्य कार्यों में भी बेहतर करने में सफल रही।
  • चुनौतियों और परेशानियों की कभी नहीं की परवाह, अपने कर्तव्य पथ पर सकारात्मक उम्मीद के साथ चलती रही :
    आशा संजुक्ता देवी ने बताया, समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा का लाभ पहुँचाना और लोगों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से जोड़ने के साथ-साथ खुद व परिवार का भी ख्याल रखना, निश्चित रूप से चुनौतियों और परेशानियाँ से भरा हुआ था। किन्तु, कभी इसकी परवाह नहीं की। बल्कि, तमाम चुनौतियों और परेशानियों को नजरअंदाज कर अपने कर्तव्य पथ पर डटी रही। वहीं, उन्होंने बताया, चुनौती यह कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रति लोगों को नजरिये को बदलना और परेशानी यह कि खुद व परिवार का भी ख्याल रखते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुँचाना। मेरी मेहनत का सकारात्मक परिणाम यह है कि अब लोग खुद सरकार द्वारा जनहित में चलाई जा रही तमाम स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी लेने मेरे पास आने लगे हैं। वहीं, उन्होंने बताया, पुरस्कार मिलने से कार्य करने का जज्बा और ऊर्जा दुगुनी होती और अन्य कर्मियों में भी अपने कार्य के प्रति जिज्ञासा बढ़ती है।
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