मोदी सरकार का अगला एजेंडा है समान नागरिक संहिता, उत्तरखंड से शुरुआत, राज्यों में मंथन

समान नागरिक संहिता को लागू करना भाजपा का मुख्य एजेंडा रहा है और पार्टी ने इससे कभी इंकार भी नहीं किया है। पिछली साल दिसंबर में भाजपा नेता निशिकांत दुबे संसद के पटल से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की मांग आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर कर चुके हैं। अब भाजपा की उत्तराखंड सरकार ने इस मुद्दे पर ठोस कदम आगे बढ़ा दिया है।

इस तरह से उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की दिशा में काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार इसको लागू करने के लिए ड्राफ्टिंग कमेटी गठित कर दी है। धामी सरकार की इस कमेटी में पांच लोग शामिल हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का फैसला ले लिया था। इस पर अमल करने के लिए अब उत्तराखंड सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन भी कर दिया गया है

कानून मंत्री किरण रिजीजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाना भाजपा के मुख्य एजेंडा में से एक रहा है और इसे लागू करने के लिए हम कृत संकल्पित हैं। रिजीजू ने कहा कि इस बारे में तैयारी चल रही है और यह कानून जरूर लाया जाएगा।

भाजपा के तीन बार सांसद रह चुके निशिकांत दुबे ने पिछले दिसंबर में सदन के पटल पर कहा था कि – भारत का बँटवारा 1947 में हिन्दू व मुस्लिम के नाम पर हो गया। आज़ादी के 75 साल बाद देश में संविधान का ऑरटीकल 44 यानि समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए । यही बाबा साहब अंबेडकर जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

कॉमन सिविल कोड का अर्थ होता है सभी व्यक्तिगत विधियां एक समान कर दी जाएं। अभी भारत में व्यक्तिगत विधियां अलग-अलग हैं। व्यक्तिगत विधियां उन कानूनों को कहा जाता है जो नागरिकों के निजी मामले को नियमित करते हैं। जैसे कि विवाह, तलाक, भरण पोषण, बच्चा गोद लेना और उत्तराधिकार।

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