– कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर दी जा रही है जरूरी जानकारी
– शिशु में कुपोषण के लक्षण दिखते ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने के लिए किया जा रहा है प्रेरित
लखीसराय, 30 जून- जिले में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुपोषित बच्चे की माँ को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया रहा है। जिसके दौरान एएनएम द्वारा मौजूद धातृ महिलाओं को कुपोषण के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। जिसमें महिलाओं को कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान करने, साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने, कुपोषण से बचाव के किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए तमाम जानकारियाँ दी जा रही हैं ।
साथ ही बच्चे में कुपोषण का लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकों से जाँच कराने एवं चिकित्सकों के सलाहानुसार पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ताकि पीड़ित बच्चे के शुरुआती दौर में ही पहचान की जा सके और ससमय जरूरी पहल की जा सके। वहीं, पोषण पुनर्वास केंद्र में जागरूकता के अलावा बच्चों का ना सिर्फ आवश्यकतानुसार समुचित इलाज हो रहा है, बल्कि इलाज के दौरान दी जाने वाली अन्य सुविधाएं भी बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि भर्ती बच्चे जल्द से जल्द स्वस्थ हो सकें और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा मिल सके।
वर्तमान में जिले के एनआरसी में 10 बच्चे भर्ती हैं। सभी भर्ती बच्चों को एनआरसी में सुविधाजनक तरीके से बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान कराई जा रही है और अन्य जरूरी बातों का उचित ख्याल रखा जा रहा है।
कुपोषित बच्चों के लिए संजीवनी है पोषण पुनर्वास केंद्र : सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया, राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में बच्चों के पोषण की कमी से निपटने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है, जो कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। वहीँ उन्होंने बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। जहाँ कुपोषित बच्चों को डाक्टर्स की सलाह के अनुसार ही उनका खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है।
यहां रखे गए बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को एक माह तक विशेष रूप से देखभाल की जाती है। पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती है। यहां भर्ती हुए बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से डिस्चार्ज किया जाता है।
उन्होंने कहा, मैं जिले वासियों से अपील करता हूँ कि जिनका भी बच्चा कुपोषण की समस्या से पीड़ित है, वह स्थानीय ऑगनबाड़ी सेविकाओं से संपर्क कर अपने बच्चों को लखीसराय सदर अस्पताल परिसर स्थित एनआरसी में भर्ती कराएं। अगर इस दौरान उन्हें किसी प्रकार की कोई असुविधा होती हो तो वह अपने स्थानीय स्वास्थ्य संस्थान या फिर स्वास्थ्य विभाग के जिला मुख्यालय और एनआरसी जाकर भी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने के लिए तय किए गए हैं ये मानक: डीपीसी सुनील कुमार ने बताया, कुपोषण के शिकार बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत बच्चों की विशेष जांच, जैसे उनका वजन व बांह आदि का माप किया जाता है। इसके साथ ही छह माह से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बांई भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो वो कुपोषित माने जाते हैं । वैसे बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।