-रजौन प्रखंड के भूसिया के रहने वाले विपिन सिंह ने नौ माह में टीबी को दी मात
-सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज कराकर मरीजों का ठीक होने का सिलसिला जारी
बांका, 2 जुलाई-
दवा का नियमित सेवन किया जाए तो आज भी स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी सकते हैं। जिले के रजौन प्रखंड के भूसिया गांव के रहने वाले विपिन सिंह एक साल पहले टीबी की चपेट में आ गए थे। वह इलाज कराने के लिए भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल पहुंचे, लेकिन जब वहां के डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि इसका इलाज आसान है और सभी सरकारी अस्पतालों में यह मुफ्त में उपलब्ध है तो वह जिला यक्ष्मा केंद्र बांका आ गए।
यहां पर जांच में उनके टीबी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ। जिला यक्ष्मा केंद्र से विपिन की लगातार निगरानी होती रही। बीच-बीच में जांच और दवा के लिए वह पास के रजौन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाते रहे। नौ महीने तक जब नियमित दवा का सेवन किया तो आज विपिन पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। अब उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है।
जांच-इलाज से लेकर दवा तक मुफ्त में मिलीः विपिन कहते हैं कि जब मुझे टीबी होने का पता चला तो मैं चिंतित हो गया था। मायागंज अस्पताल भागलपुर इलाज करवाने के लिए चला गया। वहां डॉक्टर की सलाह के बाद मैं वापस जिला यक्ष्मा केंद्र बांका आया। यहां पर भी मुझे समझाया गया कि अब टीबी लाइलाज बीमारी नहीं रही। इसका इलाज संभव हो गया है। सबसे महत्पवूर्ण बात यह कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी का मुफ्त इलाज संभव है। इसके बाद से मैं जांच और इलाज के लिए लगातार रजौन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गया। वहां से मुझे मुफ्त में दवा मिलती रही। साथ में जांच और इलाज का भी पैसा नहीं लिया गया। मैं तो अब ठीक हो ही गया हूं।
सराकारी सुविधाओं का लाभ लेकर जिले के लोग टीबी को दे रहे मातः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाना है, इसे लेकर लगातार प्रयास हो रहे हैं। लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है। मुझे खुशी इस बात की है कि लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं। रजौन प्रखंड के भूसिया गांव के रहने वाले विपिन सिंह इसका जीता जागता उदाहरण हैं। उसने लगातार टीबी की दवा का सेवन किया। इसका परिणाम है कि आज वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
टीबी के इलाज में नियमित दवा का सेवन बहुत जरूरी होता है। अगर बीच में मरीज दवा खाना छोड़ देते हैं तो एमडीआर टीबी का खतरा हो जाता है। अगर एमडीआर टीबी हो गया तो उससे उबरने में समय लगता है। इसलिए लोगों से मेरी अपील है कि अगर टीबी की चपेट में आ गए हैं तो नियमित तौर पर दवा का सेवन करें। बीच में दवा नहीं छोड़ें।