अपनी खास याद को ताजा करने पाकिस्तान पहुंचीं 90 साल की भारतीय महिला रीना छिब्बर वर्मा की आंखों में खुशी के आंसू थे।
पाकिस्तान के रावलपिंडी में अपने पुश्तैनी घर का दौरा करने के लिए वाघा-अटारी सीमा से लाहौर में प्रवेश करने वाली महिला रीना छिब्बर वर्मा की शनिवार को आंखों में खुशी के आंसू थे। लाहौर से वह रावलपिंडी गए और अपने पूर्वजों द्वारा बनाए गए ‘प्रेम निवास’ के घर गए।
इसके साथ ही वह अपने स्कूल भी गए और अपने बचपन के दोस्तों से मिले। इस बात की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर दी। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान उनका परिवार रावलपिंडी के देवी कॉलेज रोड पर रहता था।
उन्होंने एक आधुनिक स्कूल में पढ़ाई की और उनके 4 भाई-बहनों ने भी उसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इसके अलावा उनका एक भाई और एक बहन मॉडर्न स्कूल के पास गार्डन कॉलेज में पढ़ते थे।
रीना वर्मा केवल 15 वर्ष की थीं जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ और उनका परिवार भारत आ गया।
पिछले साल जब वर्मा ने सोशल मीडिया पर अपने पुश्तैनी घर जाने की इच्छा जताई तो सज्जाद हैदर नाम के एक पाकिस्तानी नागरिक ने उनसे सोशल मीडिया पर संपर्क किया। सज्जाद ने उन्हें रावलपिंडी में अपने पुश्तैनी घर की तस्वीरें भी भेजीं।
उन्होंने पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार को टैग कर अपनी इच्छा जाहिर की और उनके लिए पाकिस्तानी वीजा की व्यवस्था की गई।
रीना वर्मा ने कहा कि उनके बड़े भाई-बहनों के कई मुस्लिम दोस्त थे और उनके घर आया करते थे। उनके पिता एक स्वतंत्र सोच वाले व्यक्ति थे और उन्हें लड़के और लड़कियां होने में कोई आपत्ति नहीं थी।
बंटवारे से पहले कोई हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं था। यह सब बंटवारे के बाद आया है। भारत का विभाजन निश्चित रूप से एक गलत घटना थी लेकिन अब जब गलती हो गई है, तो दोनों देशों की सरकारों को वीजा प्रतिबंधों में ढील देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।