कासगंज के सोरोंजी की हरिपदी गंगा, अस्थि विसर्जन के बाद हो जाती हैं ‘गायब’

सोरोंजी को तीर्थस्थल का दर्जा मिला है। यहां गंगाजल लेने के लिए सावन में कांवड़ियों की भारी भीड़ उमड़ती है। वहीं हरिपदी गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। मान्यता है कि यहां अस्थियां विसर्जन से मोक्ष में विलीन हो जाती हैं।

ब्रज में यह एक ऐसा जल स्त्रोत है, जिसमें तीन दिन में अस्थियां पानी में विलीन हो जाती हैं। यह है सोरों स्थित हरि की पौड़ी जहां पर पितृ पक्ष में मोक्ष की गंगा बहती है।

कासगंज जिले के सोरों सूकर क्षेत्र के अन्तर्गत जो कुंड (हरिपदी गंगा) है, यह वही स्थान है, जहां भगवान श्री वाराह ने स्वर्गारोहरण किया था। तभी से इस कुंड में मृत्यु के पश्चात अस्थियों का विसर्जन किया जाता है। सोरों सूकर क्षेत्र को मोक्ष प्रदान करने वाले तीर्थ के रूप में माना जाता है।

सोरों की हरि की पौड़ी की प्रासंगिकता पितृ पक्ष में और ज्यादा बढ़ जाती है। हरिपदी गंगा में अविरल-अविराम, मोक्ष की धारा बहती है, जिसमें 72 घंटे में अस्थियां जल में घुल जाती हैं। ऐसा क्यों होता है यह पता लगाने के लिए कई शोध हुए, मगर इसका राज कोई न जान सका।

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