डेंगू से घबराने की जरूरत नहीं, बचने की करें कोशिश 

 -सिर्फ गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की पड़ती है जरूरत

-पहले से डेंगू की चपेट में आ चुके लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत 

बांका, 27 जुलाई- बारिश का मौसम चल रहा है। तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव भी हो रहा है। ऐसे मौसम में डेंगू का भी खतरा बढ़ जाता है। अभी के समय में इसे लेकर विशेष सतर्कता की जरूरत है। जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि डेंगू से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि इससे बचने की जरूरत है। कैसे डेंगू से बचे रहें, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

डेंगू के लक्षण की जानकारी बहुत लोगों को है और इससे कैसे बचा जाए, यह भी जानते हैं। दिन में मच्छर काटने से यह बीमारी होती है, इसलिए इससे बचाव पर फोकस करना चाहिए। डेंगू के सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। डॉ यादव ने बताया कि डेंगू के कुछ गंभीर लक्षण हैं। जैसे आंखों के पीछे दर्द होना, हड्डियों के जोड़ों पर भयानक दर्द होना और मच्छर के काटने पर लाल चकते होना। डेंगू के गंभीर मरीज का प्लेटलेट्स काफी कम हो जाता है, इसलिए उसे भर्ती करना पड़ता है।

एडीज मच्छर के काटने से होता है डेंगूः डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह मच्छर दिन में काटता और स्थिर एवं साफ पानी में पनपता है। तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द हो तो सतर्क हो जाएं। त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक- मसूढ़ों से या उल्टी के साथ रक्तस्राव होना और काला पखाना होना डेंगू के लक्षण हैं।

इन लक्षणों के साथ यदि तेज बुखार हो तो तत्काल सदर अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं। डॉ यादव ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे व्यक्ति दोबारा डेंगू बुखार की आशंका होने पर सरकारी अस्पताल या फिर डॉक्टर से संपर्क करें।

दिन में भी करें मच्छरदानी का इस्तेमालः वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने कहा कि डेंगू से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ-सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रीज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें।

घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर भी सतर्कता जरूरी है। मॉल व दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टनों में पानी जमा नहीं होने दें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।

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