सिविल सर्जन ने जिले के स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर दिए निर्देश
स्तनपान सप्ताह की सफलता को लेकर सिविल सर्जन की अध्यक्षता में हुई बैठक
जन जागरूकता स्तनपान सप्ताह की सफलता को लेकर बुधवार की शाम लखीसराय जिला स्वास्थ्य समिति परिसर स्थित सभागार कक्ष में सिविल सर्जन डॉ देवेन्द्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई। जिसमें जिले के स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के पदाधिकारी और कर्मी के अलावा अन्य सहयोगी स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के दौरान सिविल सर्जन ने मौजूद पदाधिकारियों से जिले में चल रहे स्तनपान सप्ताह की विस्तृत जानकारी ली।
उन्होंने, मौजूद पदाधिकारियों एवं कर्मियों को आवश्यक निर्देश भी दिए। सिविल सर्जन ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जन जागरूकता से ही स्तनपान सप्ताह सफल होगा। इसलिए, सामुदायिक स्तर पर धातृ माताओं के साथ बैठक कर जागरूक करें और स्तनपान से होने वाले फायदे, इसके महत्व समेत अन्य जानकारियों से अवगत कराएं। ताकि स्तनपान को लेकर घातृ माताओं के मन में चल रही दुविधा को दूर किया सके। साथ ही सामुदायिक स्तर पर जागरूकता भी आ सके।
इस मौके पर एसीएमओ सह डीआईओ डाॅ अशोक कुमार भारती, डीपीएम (हेल्थ) मो खालिद हुसैन, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, स्वास्थ्य प्रबंधक समेत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीडीपीओ, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, बीसीएम आदि मौजूद थे।
स्वास्थ्य संस्थान से लेकर आंगनबाड़ी केंद्र तक किया जा रहा है जागरूक : डीपीसी सुनील कुमार ने बताया, स्तनपान सप्ताह की सफलता को लेकर स्वास्थ्य संस्थानों से लेकर आंगनबाड़ी केंद्र तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत एक-एक धातृ महिला को स्तनपान के प्रति जागरूक किया जा रहा और स्तनपान से होने वाले फायदे, स्तनपान के महत्व, शिशु के लिए स्तनपान क्यों और कितना जरूरी है समेत अन्य आवश्यक जानकारियाँ दी जा रही हैं । वहीं, उन्होंने बताया, इसके अलावा आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर भी धातृ माताओं को जागरूक किया जा रहा है।
शिशु के सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक विकास के लिए छः माह तक सिर्फ सिर्फ माँ का दूध जरूरी : शिशु के सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जन्म के पश्चात छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध जरूरी है। इससे शिशु का ना सिर्फ शारीरिक और मानसिक विकास होता बल्कि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूती मिलती , जो संक्रामक बीमारी से बचाव करता है। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही दूध पिलाएं। इसके बाद ही ऊपरी आहार देना शुरू करें। इसके अलावा पुराने ख्यालातों और अवधारणाओं से बाहर आकर जन्म के एक घंटे के अंदर ही बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दें। माँ यह गाढ़ा-पीला दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है।
शिशु को छः माह तक सिर्फ माँ के दूध का ही कराएं सेवन : शिशु को जन्म के पश्चात छः माह तो सिर्फ माँ का दूध ही सेवन तो जरूरी है ही, इसके बाद भी कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ स्तनपान भी जरूरी है। तभी शिशु का सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक विकास और स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा। साथ ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूती मिलेगी और संक्रामक रोग से भी दूर रहेगा। इसलिए, स्तनपान कराने वाली सभी माताओं को दो वर्षों तक अपने शिशु को स्तनपान कराना चाहिए।