– कम और अधिक उम्र में गर्भधारण और एनीमिया है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की बड़ी वजह
– सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए पौष्टिक और आयरनयुक्त खान-पान का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी
मुंगेर, 9 अगस्त- सुरक्षित और सामान्य प्रसव हर गर्भवती महिला की पहली चाहत होती है लेकिन यह आसान नहीं होता। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक गर्भवती महिला को स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है। वैसे तो गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को तरह- तरह की शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इनमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण परेशानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था) भी है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से पीड़ित होने के कई कारण हो सकते हैं किन्तु कम और अधिक उम्र में गर्भधारण करना और एनीमिया इसकी एक बड़ी वजह है। इससे बचाव के लिए सही समय पर आवश्यक प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) और सतर्कता बेहद जरूरी है। सही समय पर प्रसव पूर्व जाँच हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की पहचान में काफी सहायक होती और शुरुआती दौर में ही परेशानी का पता चल जाता है। सही समय पर उच्य जोखिम गर्भावस्था का पता चलने से इस परेशानी से आवश्यक उपचार की बदौलत बचा जा सकता है। – हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जाँच और सतर्कता बेहद जरूरी : सिविल सर्जन डाॅ. पीएम. सहाय ने बताया कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जाँच करवाने के साथ ही सतर्क रहना भी बेहद जरूरी है। इसको ध्यान में रखते हुए हर गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) अवश्य करवानी चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक परेशानी होने पर भी तुरंत ही योग्य चिकित्सकों से जाँच करवानी चाहिए और जाँच के पश्चात चिकित्सा परामर्श का शत प्रतिशत पालन करना चाहिए।शुरुआती दौर में परेशानी का पता लगने पर समय रहते आवश्यक पहल से इस परेशानी को दूर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक महीने की नौ तारीख को जिला के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में शिविर आयोजित कर प्रसव पूर्व (एएनसी) जाँच की जाती है। – कम और अधिक उम्र में भी गर्भधारण से होती है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की समस्या : मुंगेर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि वैसे तो हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की समस्या किसी भी गर्भवती महिला को हो सकती है। किन्तु, कम यानी 19 वर्ष आयु के पहले और अधिक यानी 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की गर्भवती महिलाओं में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की समस्या होने की प्रबल संभावना रहती है। ऐसी महिलाओं को निश्चित रूप से गर्भधारण के पूर्व और गर्भावस्था के दौरान लगातार नियमित तौर पर स्वास्थ्य जाँच कराते रहना चाहिए। इसके साथ ही इससे बचाव के लिए चिकित्सकीय परामर्श का पालन, खान-पान का विशेष ख्याल, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सतर्कता सहित अन्य बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में लगातार बुखार रहना, सिर दर्द होना, आराम करते समय भी साँस फूलना, पेट में दर्द होना, त्वचा पर लाल चकते होना, वजन बढ़ना, सूजन होना आदि मुख्य लक्षण हैं । – हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए पौष्टिक और आयरन युक्त खान-पान का सेवन करें गर्भवती महिलाएं : जिला स्वास्थ्य समिति मुंगेर के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी ने बताया कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को खान-पान, साफ-सफाई सहित अन्य जरूरी सावधानी को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। पौष्टिक और आयरन युक्त खाना का सेवन हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के लिए काफी कारगर है इसलिए गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक और आयरन युक्त आहार का ही सेवन करना चाहिए।