अति कुपोषित नौनिहालों के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करने वाले  सुविधा स्थल के रूप में कार्यरत है एनआरसी

-कुपोषण के लक्षणों और इसके दुष्परिणामों से संबंधित जागरूकता पैदा करना है पहला लक्ष्य : नोडल अधिकारी 

मुंगेर, 25 अगस्त

अति कुपोषित नौनिहालों को पौष्टिक आहार देने और उनके स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करने वाले  सुविधा स्थल के रूप में सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित हो चुका  है। यहां कुपोषित बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए हर तरह की सुख- सुविधाएं, मनोरंजन के साधन, समय-समय पर पर्व त्यौहार सहित छोटे-छोटे बच्चों के  जन्मदिन सहित अन्य सभी आवश्यकताओं का ख़्याल रखा जाता है। 

जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) डॉ आनंद शंकर  सिंह ने बताया कि जिले के तमाम अति कुपोषित बच्चों को आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ साथ आरबीएसके टीम के सदस्यों के द्वारा चिह्नित  कर एनआरसी में भर्ती कराया जाता है। उन्होंने बताया कि एनआरसी की स्थापना कुपोषित बच्चों के लिए पौष्टिक आहार के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच करते हुए पोषण युक्त बनाने वाले इकाई के रूप में की गई है।

यहां 05 वर्ष से कम आयु वर्ग के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों, जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं हों को चिकित्सीय एवं पोषण से संबंधित सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। एनआरसी में आने वाले सभी तरह के बच्चों की माताओं एवं अन्य अभिभावकों को जो उनकी देखभाल करने के लिए रहते हैं उन्हें बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खानपान से संबंधित कौशल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।  

यहां अति कुपोषित बच्चे कुछ ही दिन में दिखने लगते हैं पोषित – उन्होंने बताया कि स्थानीय एनआरसी में आवासित शारीरिक रूप से बेहद दुबले- पतले और कमजोर नजर आने वाले बच्चे भी कुछ दिनों के बाद पूरी तरह से हृष्ट -पुष्ट दिखने लगते हैं। राज्य सरकार की ओर से पोषण पुनर्वास केंद्र से जुड़कर कार्य करने वाली सहयोगी संस्थाओं द्वारा ज़िले के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से अति कुपोषित बच्चों को लाया जाता है। यहां सबसे अहम बात यह है कि एनआरसी से बच्चों की छुट्टी होने के बाद अद्यतन जानकारी के लिए लगभग 4 बार फॉलोअप भी किया जाता है।  

कुपोषण के लक्षणों और इसके दुष्परिणामों से संबंधित जागरूकता पैदा करना पहला लक्ष्य : नोडल अधिकारीपोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी और जिला कार्यक्रम समन्वयक विकास कुमार ने बताया कि यहां जितने भी अति कुपोषित बच्चे हैं, उनको चिकित्सीय उपचार के साथ ही पौष्टिक आहार की जरूरत सबसे ज़्यादा होती है। यहां बच्चों के साथ रहने वाली माताओं को स्तनपान से संबंधित सलाह दी  जाती  है। इसके साथ ही बच्चों में कुपोषण के लक्षणों और इसके दुष्परिणामों से संबंधित जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य यहां विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । इसके साथ ही कमजोर समुदाय के लोगों को उचित सलाह के साथ ही प्रोत्साहित भी किया जाता है।

SHARE