राजनाथ सिंह की मंगोलिया और जापान की यात्रा पर चीन की पैनी नजर

राजनाथ सिंह की मंगोलिया और जापान यात्रा पर पैनी नजर रख रहा है और उस यात्रा पर आगे बढ़ने की सोच रहा है।

चीन की ओर से आने वाले बयानों से साफ पता चलता है कि वह भारत और जापान के बीच बढ़ती दोस्ती के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं है। भारत और जापान के बीच टू-प्लस-टू मैच का दूसरा दौर 8 सितंबर से शुरू होने वाला है। इसमें जापान के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री भी मौजूद रहने वाले हैं।

इससे पहले राजनाथ दो दिनों के लिए मंगोलिया भी जाएंगे। 6 सितंबर को मंगोलियाई राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद उनका राजनाथ के सम्मान में एक रात्रिभोज की मेजबानी करने का भी कार्यक्रम है।

भारत के रक्षा मंत्री के जापान दौरे से पहले चीन के सरकारी मीडिया ने कहा था कि दोनों देशों को इस तरह की उच्च स्तरीय बैठक की आड़ में किसी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाना चाहिए। एक चीनी पर्यवेक्षक ने समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और जापान के बीच घनिष्ठता बढ़ी है।

इस बीच चीन के सिन्हुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान के अनुसंधान विभाग के निदेशक क्वान फेंग ने कहा कि भारत में कुछ लोग चीन को उसकी जटिल मानसिकता के कारण रक्षा चुनौती मानते हैं। वे अमेरिका और जापान के साथ भारत की दोस्ती को अहमियत दे रहे हैं। इसके पीछे उनका मकसद चीन को नियंत्रित करना है इसलिए चीन को सतर्क रहना चाहिए।

मंगोलिया के साथ बातचीत के दौरान भारत के सहयोग से वहां बनने वाली रिफाइनरी को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है। यह मंगोलिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है। इसे 1.2 अरब डॉलर की लागत से तैयार किया जा रहा है। इसके 2025 में पूरा होने की संभावना है।

मंगोलिया के डोर्नोगोलिब प्रांत में बन रही यह रिफाइनरी देश की 75 फीसदी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगी। इसके अलावा राजनाथ सिंह एक साइबर सुरक्षा केंद्र का भी उद्घाटन करेंगे, इसलिए भारत ने मंगोलिया के रक्षा मंत्रालय की मदद की है।

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