टीबी के लक्षण दिखे तो संकोच नहीं करें, सरकारी अस्पताल में जांच कराएं

 -पीएचसी से लेकर जिला स्तर पर उपलब्ध है समुचित जांच और इलाज की सुविधा 

-टीबी लाइलाज बीमारी नहीं पर समय पर इसका इलाज शुरू कराना बहुत जरूरी है

 बांका- टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, पर अब यह लाइलाज नहीं है। इससे बचाव एवं स्थाई निजात के लिए समय पर जांच एवं समुचित इलाज कराना जरूरी है। इसलिए लक्षण दिखते ही तुरंत सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में जाएं और वहां जांच कराएं। जांच के बार डॉक्टर की सलाह का पालन करें। जांच कराने में किसी तरह का कोई संकोच नहीं करें। यही इस बीमारी से स्थाई निजात और बचाव का सबसे कारगर उपाय है। लोगों को जांच कराने में किसी प्रकार की असुविधा और अनावश्यक परेशानी नहीं हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग भी काफी सजग और गंभीर है। साथ ही लोगों की सुविधा के मद्देनजर स्थानीय स्तर पर भी समुचित जांच एवं इलाज की व्यवस्था की गई, ताकि लोगों को जांच कराने में न ही किसी प्रकार की असुविधा हो और न लंबी दूरी का सफर करने की परेशानी उठानी पड़े। मसलन, सभी लोग सुविधाजनक तरीके से अपनी जांच करवा सकें, जिससे आसानी के साथ बीमारी को मात दे सकें।

इसके अलावा जांच में पीड़ित पाए जाने पर समुचित इलाज की भी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जांच से लेकर इलाज तक की सभी सुविधाएं पूरी तरह निःशुल्क हैं। टीबी संक्रमित मरीजों को प्रोत्साहन राशि का भी दिया जाता है लाभ: जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा ने बताया, टीबी संक्रमित मरीजों को निःशुल्क जांच और इलाज के साथ-साथ सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी देने की व्यवस्था की गई है। प्रोत्साहन राशि संबंधित मरीजों को उनके खाते के माध्यम से दी जाती है, ताकि मरीजों को उचित एवं प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन करने में मदद मिल सके।

वहीं, उन्होंने बताया, किसी भी व्यक्ति को लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच करानी चाहिए। किसी भी बीमारी का शुरुआती दौर में जानकारी मिलती है तो उससे आसानी के साथ जल्द ही निजात भी मिलती है। -बचाव के उपाय:दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें।

– मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।

– मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।

– पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

-भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें। 

ये हैं टीबी के लक्षण :

– भूख न लगना, कम लगना और वजन अचानक कम हो जाना।

– बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।

– हलका बुखार रहना।

– खांसी एवं खांसी में बलगम और बलगम में खून आना।

– कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।

– गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।

– बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।

– पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।

SHARE