नाथनगर के चंपानगर में टीबी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजनस्वास्थ्य विभाग के सहयोग से केएचपीटी ने आयोजित किया कार्यक्रम
भागलपुर-
नाथनगर प्रखंड के चंपानगर में मस्जिद के पास गुरुवार को टीबी को लेकर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। जागरूकता कार्यक्रम का आय़ोजन कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में वार्ड पार्षद मो. अली अयाज ने भी शिरकत की। इस दौरान करीब 250 लोग शामिल रहे। मौके पर मौजूद लोगों को टीबी से बचाव की जानकारी दी गई। लोगों को टीबी के लक्षण के बारे में बताया गया।
साथ ही टीबी से बचाव कैसे किया जाता है, इसकी भी जानकारी दी गई। लगातार दो हफ्ते तक खांसी रहने, बलगम के साथ खून आने, शाम के वक्त ज्यादा पसीना आना, लगातार बुखार रहना इत्यादि लक्षणों के बारे में लोगों को बताया गया। साथ ही अगर किसी में यह लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच कराने की सलाह दी गई।केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि टीबी को लेकर जागरूकता अभियान लगातार जारी है।
टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक से लेकर सामुदायिक स्तर में जाकर टीबी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। टीबी को मात दे चुके चैंपियन भी इस अभियान में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। लोगों को टीबी के लक्षण समेत तमाम जानकारी दी जा रही है। अगल लोगों को टीबी के लक्षण के बारे में पता रहेगा तो वह जल्द अपना इलाज करा लेंगे, इससे टीबी के प्रसार पर रोक लगेगा। टीबी उन्मूलन को लेकर ये सब काम जरूरी है। खासकर घनी आबादी वाले क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में बताना आवश्यक है। ऐसे क्षेत्र में टीबी जैसी बीमारी के पसरने की संभावना रहती है। इसलिए हमलोग टीबी को लेकर अभियान के लिए घनी आबादी वाले क्षेत्र का चयन करने की कोशिश करते हैं।
खान-पान के प्रति किया गया जागरूकः आरती झा ने बताया कि जागरूकता अभियान के दौरान लोगों को खान-पान के प्रति भी जागरूक किया गया। सही तरीके से भोजन नहीं करने वाले लोग भी इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इसलिए जरूरी है कि लोग पौष्टिक आहार लें । दूध, दही, मांस, मछली अंडा का लोगों को नियमित तौर पर सेवन करते रहना चाहिए। जो लोग मांसाहर का सेवन नहीं करते हैं, ऐसे लोग हरि सब्जियों और मौसमी फल को अपने आहार में नियमित तौर पर शामिल करें। जागरूकता के दौरान इन बातों को भी बताया गया। साथ ही टीबी के मरीज से छुआछूत नहीं करने की सलाह भी लोगों को दी गई। अगर समाज में टीबी के प्रति छुआछूत की प्रवृत्ति खत्म होगी तो यह बीमारी तेजी से खत्म होगी। इसलिए लोगों को टीबी मरीज मिलने पर उसका इलाज कराने की सलाह दी गई, न कि उसका बहिष्कार करने की।