प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीन ऋण ऐप मामले में डिजिटल भुगतान कंपनियों पेटीएम, रिजर्वपे और कैश फ्री के परिसरों पर छापा मारा। ईडी ने चीनी लोगों द्वारा नियंत्रित ‘अवैध’ तत्काल स्मार्टफोन आधारित ऋण से जुड़े एक मामले में पीएमएलए के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की है।
ईडी ने कहा कि बेंगलुरू में पेमेंट गेटवे कंपनियों के छह ठिकानों पर शुक्रवार को छापेमारी शुरू हुई। छापेमारी के दौरान ईडी ने चीनी लोगों के नियंत्रण वाली कंपनियों के मर्चेंट आईडी और बैंक खातों में रखे 17 करोड़ रुपये जब्त किए। इसके अलावा ईडी की छापेमारी अभी भी जारी है।
कुछ कंपनियां ऑनलाइन ऐप के जरिए लोन देती हैं। ये कंपनियां अवैध रूप से काम कर रही थीं। इनमें से ज्यादातर चीनी ऐप्स हैं। ईडी इन सौदों में मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना की जांच कर रही है। ईडी का कहना है कि कुछ कंपनियां अवैध तरीके से कमाई कर रही हैं। वे भारतीयों के दस्तावेजों का अवैध रूप से इस्तेमाल कर उन्हें डमी निदेशक बनाकर ऐसा कर रहे हैं।
ईडी का कहना है कि ऐप आधारित ‘अवैध’ तत्काल ऋण मामले में ऐप कंपनियां चीनी लोगों द्वारा नियंत्रित हैं। ये कंपनियां विभिन्न मर्चेंट आईडी और पेमेंट गेटवे और बैंकों के साथ बनाए गए खातों के माध्यम से संदिग्ध और अवैध कारोबार कर रही थीं। रेजरपे प्राइवेट लिमिटेड, कैशफ्री पेमेंट्स और पेटीएम पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड के साथ-साथ चीनी-नियंत्रित कंपनियों की जांच चल रही है।
ईडी ने कहा कि उसका मनी लॉन्ड्रिंग मामला बेंगलुरु पुलिस के साइबर क्राइम स्टेशन द्वारा दर्ज की गई 18 प्राथमिकी पर आधारित है। ईडी ने यह भी कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की एमसीए वेबसाइट पर पंजीकृत पतों से कई चीनी ऋण ऐप कंपनियां काम नहीं कर रही थीं। फर्जी पते से काम कर रहे हैं। इसके अलावा, मामला उन कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ है जो मोबाइल ऐप के माध्यम से छोटे ऋण लेने वाले लोगों से जबरन वसूली और शोषण कर रहे हैं।
लोन ऐप्स द्वारा ठगी और बदनाम किए जाने के बाद भारत में आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं। चीनी नागरिकों की संलिप्तता सामने आई है। हाल ही में तमिलनाडु पुलिस ने लोन ऐप घोटाले का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने दो चीनी नागरिकों समेत चार आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है।
देश में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं और लोग बड़ी संख्या में वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। ऐप्स से इंस्टेंट लोन लोगों को कर्ज में फंसाता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से फरवरी 2021 के बीच 81 ऐप स्टोर्स के सर्वे में पाया गया कि उस समय भारत में 1,100 से ज्यादा डिजिटल लोन ऐप थे। उनमें से, आरबीआई ने लगभग 600 ऐप्स को अवैध घोषित किया। आरबीआई के निर्देश के बाद गूगल प्ले स्टोर को भी इस ऐप को प्ले स्टोर से हटाने का निर्देश दिया गया था।