टीबी मुक्त पंचायत बनाने के लिए बनाई कार्ययोजना

-केएचपीटी ने नवगछिया की यमुनिया पंचायत में जनप्रतिनिधियों को दिया प्रशिक्षण
-टीबी उन्मूलन में जनप्रतिनिधि कैसे कर सकते हैं सहयोग, इसकी दी गई जानकारी

भागलपुर, 14 सितंबर

2025 तक जिले को टीबी से मुक्त बनाने को लेकर अभियान जारी है। बुधवार को कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नवगछिया प्रखंड की यमुनिया पंचायत के पंचायत भवन पर जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण का आयोजन किया । इसमें यमुनिया पंचायत की मुखिया, उपमुखिया, पंचायत समिति सदस्य, 2 पंच और 11 वार्ड सदस्यों ने भाग लिया। इस दौरान टीबी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी उनके बीच केएचपीटी के प्रखंड समन्यवक संदीप कुमार ने साझा किया। उन्हें प्रेरित किया गया कि अपने आसपास टीबी के लक्षणों से युक्त रोगी पाए जाने पर अपने सामुदायिक समन्वयक को सूचित करें, ताकि उसकी सरकारी संस्थान में मुफ्त में जांच हो सके। जांच में यदि टीबी की पुष्टि होती है तो मुफ्त में इलाज हो सके और सरकार की निक्षय पोषण योजना का लाभ भी वह उठा सके।
मौके पर टीबी उन्मूलन के लिए कार्ययोजना योजना बनाई गई। मौके पर मौजूद वार्ड मेंबर, पंच, पंचायत समिति सदस्य, उपमुखिया, मुखिया को बताया गया कि कैसे कार्ययोजना पर अमल करना और पंचायत को टीबी से मुक्त बनाना है। इसके लिए वार्ड में जागरूकता फैलाने, टीबी के प्रति कलंक और भेदभाव कम करने, टीबी के लिए कैंप का आयोजन करने, लक्षण बाले मरीजों को जांच के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई। वार्ड स्तर पर शिविर लगाने के लिए जगह भी चिह्नित की गई। इसके साथ ही वार्ड सदस्य, पंच, पंचायत समिति सदस्य, उपमुखिया के मोबाइल में निश्चय सेतु और टीबी आरोग्य साथी एप डाउनलोड करवाया गया और इसका उपयोग समझाया गया। ये लोग अपने आसपास के लोगों के मोबाइल में इसे डाउनलोड करवाकर उपयोग समझाएंगे। इन दोनों एप में टीबी बीमारी और उसके इलाज आदि की सम्पूर्ण जानकारी है। इस जानकारी के सही उपयोग से स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं पर से रोगी और उसके परिवार की निर्भरता बहुत हद तक खत्म हो जाएगी।
सामुदायिक स्तर पर जागरूकता जरूरीः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा कहती हैं कि टीबी को खत्म करने के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बहुत ही जरूरी है। पंचायत के जनप्रतिनिधियों की ग्राम स्तर पर काफी पकड़ है। ये लोग लगातार लोगों को घरों में भ्रमण करते रहते हैं। एप की मदद से ये लोग टीबी के बारे में लोगों से जानकारी हासिल करेंगे और अगर टीबी के लक्षण वाले कोई मरीज मिलते हैं तो उसे जांच और इलाज के लिए भेजेंगे। इस तरह के प्रयास से टीबी उन्मूलन में काफी सहयोग मिल सकता है।

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