भारतीय नमक की यूरोप-अमेरिका व कई अन्य देशों में बढ़ने लगी है माँग

भारतीय नमक की यूरोप-अमेरिका के साथ साथ कई अन्य देशों में भी लगातार माँग बढ़ रही है। आज गुजरात के कच्छ इलाके से पूरी दुनिया को नमक की सप्लाई हो रही है। कच्छ के अलावा गुजरात के 14 जिलों में नमक बनाया जाता है। वहीं देश से निर्यात होने वाले नमक का 90 फीसदी निर्यात कांडला पोर्ट से होता है।

दुनिया में 2020-21 में लगभग 29 करोड़ मीट्रिक टन नमक का उत्पादन हुआ। स्टैटिस्टा के अनुसार चीन और अमेरिका सबसे बड़े नमक उत्पादक हैं। 2021 में चीन में 6.4 करोड़ टन और अमेरिका में 4 करोड़ टन नमक का उत्पादन हुआ। तीसरे स्थान पर भारत है जहां 2.9 करोड़ मीट्रिक टन नमक का उत्पादन किया गया।

संसद में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि देश में बनने वाले कुल नमक का लगभग 85 फीसदी हिस्सा गुजरात से आता है। विश्व की 8.5-10 फीसदी तक नमक की जरूरत भारत पूरी करता है।

गुजरात में बनने वाला नमक चीन के रास्ते यूरोप, अमेरिका और रूस पहुंचता है। रावल बताते हैं कि चीन अपने देश की खराब क्वालिटी वाला ज्यादातर नमक यूरोपीय देशों को निर्यात कर देता है और भारत से अच्छी गुणवत्ता वाला नमक आयात करता है। कच्छ से बड़ी मात्रा में नमक चीन को भेजा जाता है।

भारत की तुलना में अमेरिका और यूरोप में नमक की खपत काफी ज्यादा है। भारत में एक साल में प्रति व्यक्ति नमक की औसत खपत लगभग 6 किलो है, लेकिन अमेरिका और यूरोप में यह 30 से 35 किलो तक है। वहां लोग टेबल सॉल्ट के रूप में इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। ये वैक्यूम रिफाइंड नमक अच्छी क्वालिटी का होता है। कुछ समय पहले तक दुनिया में ऑस्ट्रेलिया के नमक को सबसे अच्छा माना जाता था, लेकिन अब भारत के नमक की क्वालिटी दुनिया के किसी भी देश के नमक को टक्कर देती है

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