- स्क्रीनिंग के बाद सभी बच्चे लौटे घर, अब सफल इलाज के लिए भेजा जाएगा अहमदाबाद
- इलाज की उम्मीद खो चुके परिवारों में सरकारी खर्च से बच्चों के इलाज होने की जानकारी मिलते ही छाई खुशियाँ
लखीसराय, 17 सितंबर-
बिहार सरकार द्वारा चलायी जा रही मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। दरअसल, इस योजना के तहत ऐसे बच्चों का पूरी तरह निःशुल्क जाँच और समुचित इलाज हो रहा तथा अपने बच्चों के सफल इलाज की उम्मीद छोड़ चुके परिवारों में खुशियाँ लौट रही हैं ।
इस योजना से पीड़ित बच्चे को नई जिंदगी मिल रही है। हाल में जिले की आरबीएसके टीम द्वारा संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता के सहयोग से विभिन्न प्रखंडों में संभावित हृदय रोग से ग्रसित कुल आठ बच्चे को चिह्नित किया गया था। सभी बच्चों को बीते दिनों निःशुल्क जाँच (स्क्रीनिंग) के लिए सरकारी एम्बुलेंस के द्वारा आईजीआईसी पटना भेजा गया था। जहाँ जाँच में सभी बच्चे के हृदय रोग (दिल में छेद) से पीड़ित होने की पुष्टि हुई। स्क्रीनिंग के बाद शुक्रवार को सभी बच्चे अपने -अपने घर लौट आए। अब सभी बच्चों को सफल इलाज के लिए अहमदाबाद भेजा जाएगा।
- स्वीकृति मिलते ही सभी बच्चे को सफल इलाज के लिए भेजा जाएगा अहमदाबाद :
सिविल सर्जन डाॅ देवेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया, मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों के कुल आठ बच्चों को स्क्रीनिंग के लिए पटना भेजा गया था। जहाँ जाँच में सभी बच्चे हृदय रोग से ग्रसित पाए गए । अब स्वीकृति मिलते ही सभी बच्चे को बारी-बारी से सरकारी खर्च पर सफल इलाज के लिए अहमदाबाद भेजा जाएगा। वहीं, उन्होंने बताया, उक्त योजना के तहत जिले के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों की पहचान कर लगातार समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। - सभी बच्चे की हुई सफल स्क्रीनिंग :
डीईआईसी मैनेजर सह आरबीएसके समन्वयक अंशु सिन्हा ने बताया, सभी बच्चों को आरबीएसके के जिला कंसल्टेंट डाॅ शिव शंकर कुमार के नेतृत्व में स्क्रीनिंग के लिए पटना भेजा गया। जहाँ सभी बच्चे की सफल स्क्रीनिंग हुई । अब सभी बच्चों के सफल इलाज के लिए अहमदाबाद भेजने हेतु आवश्यक और जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सभी बच्चों का नि:शुल्क समुचित इलाज होगा और बच्चों के अभिभावकों का भी आने-जाने का खर्च सरकारी स्तर से वहन किया जाएगा। - छोड़ चुके थे इलाज की आस, अब जगी उम्मीद की नई किरण :
पटना से स्क्रीनिंग के बाद लौटे हलसी के बकियावाद निवासी तीन वर्षीय आर्यन कुमार के पिता दीपक कुमार ने बताया कि मैं ईंट भट्ठा पर काम करने वाला एक सामान्य मजदूर हूँ। मुझे जैसे ही अपने बच्चे के बारें में हृदय रोग से पीड़ित होने की जानकारी मिली तो मैं काफी घबरा गया। मैं अपने बच्चे के इलाज होने की उम्मीद छोड़ चुका था । क्योंकि, मजदूरी के बल पर ये इलाज कराना संभव नहीं था। इस विकट परिस्थिति में जैसी ही मुझे जानकारी मिली कि सरकारी खर्च से मेरे बच्चे का सफल इलाज होगा, पूरे परिवार में खुशियाँ छा गई और उम्मीद की नई किरण जाग गई। इस पहल के लिए सरकार के साथ-साथ मैं स्थानीय स्वास्थ्य विभाग का भी जीवन भर आभारी और ऋणी रहूँगा। सरकार की यह पहल गरीबों के लिए संजीवनी है। - बच्ची को नई जिंदगी मिलने की जगी उम्मीद :
पटना से स्क्रीनिंग के बाद लौटे सूर्यगढ़ा के जकडपुरा निवासी हृदय रोग से पीड़ित 08 महीने की मानवी कुमारी के पिता अरविंद कुमार ने बताया, मैं पेशे से एक मजदूर हूँ । सिर्फ मजदूरी के बल पर मैं अपनी बच्ची का इलाज कराने की सोचना तो दूर कल्पना भी नहीं कर सकता था । ऐसे में मैं एवं मेरा पूरा परिवार बच्ची की इलाज होने की उम्मीद ही छोड़ चुके थे। जैसे ही सरकारी स्तर से समुचित इलाज होने की जानकारी मिली तो अब मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे आँगन में मेरे बच्चे के लड़खड़ाते कदम एक बार फिर से दौड़ने लगेंगे ।