-विशेष श्रेणी की महिलाएं 20 से 24 सप्ताह तक करा सकती हैं गर्भसमापन
-एमटीपी एक्ट में हाल के दिनों में हुए संसोधन के बारे में दी गई जानकारी
बांका, 19 सितंबर-
सांझा प्रयास नेटवर्क द्वारा सोमवार को बौंसी प्रखंड सभागार में छह पंचायतों के 56 वार्ड सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में सुरक्षित गर्भसमापन के बारे में वार्ड सदस्यों को जानकारी दी गयी। उन्हें बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि 20 से 24 सप्ताह तक कर दिया गया है। पहले यह 20 सप्ताह तक ही था, लेकिन पिछले दिनों कानून में संसोधन कर इसकी अवधि बढ़ा दी गयी है। कानून के बारे में सेवा भारती सेवापुरी संस्था के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर रितेश रंजन ने बैठक के दौरान वार्ड सदस्यों को जानकारी प्रदान की।
इस बैठक में जानकारी दी गई कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भसमापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन कराने में बड़ी कठिनाइओं का सामना करना होता था। अनेक तरह के घरेलू उपायों के कारण गर्भसमापन कराने में महिलाओं की मौत भी हो जाती थी। इसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भसमापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया। एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। इसमें विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।
गोपनीयता का कड़ाई से पालन करना जरूरीः उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भसमापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भसमापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है।