इस्‍लामिक देशों में महिलाएं हिजाब उतारकर फैंकना चाहती हैं, भारत में हिजाब PFI की साजिश

इस्‍लामिक देशों में महिलाएं हिजाब उतारकर फैंकना चाहती हैं, लेकिन भारत में लपेटना चाहती हैं। दरअसल भारत मे भी महिलाएं हिजाब में लिपटना नहीं चाहती हैं लेकिन कुछ शातिर राजनीतिक लोग उनसे जबरदस्ती ऐसे बयानबाजी, नारेबाजी और मुकदमेबाजी कराते हैं।

जहाँ महिलाओं को बिना इजाजत खाना भी मना है वहाँ कोई महिला हिजाब पहनने या ना पहनने पर अपनी मर्जी कैसे चला सकती है?

हिजाब मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में लगातार 8 वें दिन सुनवाई हुई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की सुप्रीम कोर्ट की बेंच कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में ईरान का उल्लेख किया और कहा कि हिजाब इस्लाम के लिए जरूरी परंपरा नहीं है। कई मुस्लिम देश की महिलाएं इसके खिलाफ लड़ रही हैं।

इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि “हो सकता है कुरान में लिखा हो और मैं उसे स्वीकार भी करता हूँ। मैंने कुरान नहीं पढ़ी है लेकिन केवल उसमें उल्लेख होने से हिजाब अनिवार्य परंपरा नहीं बन जाएगा।”

मेहता ने कहा कि ‘हो सकता है उनके यहाँ हिजाब पहनना एक प्रैक्टिस है लेकिन ये अनिवार्य नहीं है। आखिर यूनिफॉर्म का उद्देश्य क्या है? ये एकरूपता और बराबरी लाता है। ऐसे कई संवैधानिक इस्लामिक देश हैं जहां महिलायें हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने हिजाब विवाद को PFI साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि 2022 में PFI ने सोशल मीडिया पर हिजाब पहनने के लिए आंदोलन शुरू किया था और छात्र इसमें उसकी साजिश का हिस्सा बन गए। बच्चे वही कर रहे थे जो उन्हें कहा जा रहा था

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