- सुपोषित माता ही होती हैं स्वस्थ शिशु की जननी
- किशोरियों में कुपोषण की स्थिति सुरक्षित मातृत्व में बाधक
- किशोरियों के पोषण के लिए माता- पिता को जागरूक होना आवश्यक
मुंगेर-
किशोरावस्था के दौरान बेहतर स्वास्थ्य और पोषण संबन्धित देखरेख किशोरों, विशेष रूप से किशोरियों के सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है। मौजूदा समय में जब महिलाएं स्वस्थ माता बनने तक हीं सीमित नहीं है बल्कि वो दूसरी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ भी सफलता से उठा रही तो ऐसे में किशोरियों के स्वास्थ्य के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही उनके भविष्य और सुरक्षित मातृत्व के लिए बाधक साबित हो सकती है। यूनिसेफ़ द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार देश के 25.30 करोड़ किशोर-किशोरियों में 40 प्रतिशत किशोरियों में एनीमिया यानि खून की कमी है। इसलिए इनके स्वास्थ्य और पोषण के प्रति सतर्क होकर खून की कमी को दूर कर भविष्य में सुरक्षित मातृत्व को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
किशोरियों के पोषण के लिए माता- पिता को जागरूक होना आवश्यक :
स्त्री जननी होती है। नवजात को जन्म देकर वंश को आगे बढ़ाने की धूरि मानी जाती। किन्तु अभी भी समाज में कई लोग ऐसे हैं जो पुत्र मोह में अपनी बेटियों की सेहत और उसके पोषण को लेकर उदासीन और लापरवाह दिखते हैं। यहां सभी को समझने की जरूरत है कि एक सुपोषित किशोरी ही आगे चलकर एक स्वस्थ बच्चे की जननी हो सकती है। किशोरी एवं मातृ पोषण के अभाव में ही नवजात एवं माता की मृत्यु अधिकतर देखी जाती है । बेटा हो या बेटी, दोनों के पोषित और स्वस्थ्य होने से ही एक स्वस्थ एवं प्रगतिशील समाज की कल्पना की जा सकती है।
सुपोषित माता ही होती हैं स्वस्थ शिशु की जननी :
जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि पोषण का किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वस्थ मातृत्व में सबसे अहम भूमिका है। इस दौरान आहार में जरूरी पोषक तत्वों और आयरन की कमी को पूरा कर रक्ताल्पता और दूसरे पोषण संबन्धित समस्याओं को दूर किया जा सकता है। जिससे भविष्य में प्रसव के दौरान व माँ बनने के बाद संभावित जटिलताओं में काफ़ी कमी आ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत शारीरिक विकास किशोरावस्था में हो जाता है। इसलिए ना सिर्फ सुरक्षित मातृत्व बल्कि मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए भी किशोरियों के पोषण की जरूरतों को नजरंदाज करना नुकसान दायक हो सकता है। उनके भोजन में रोजाना कैल्सियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन बी-12, फोलिक एसिड, विटामिन बी-3, विटामिन सी एवं आयोडीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें तथा हरी साग- सब्जी, मौसमी फ़ल, गुड एवं भुना चना, दूध, अंडे, मांस मछ्ली और रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए खट्टे फल शामिल करें।