ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा ज़िले में यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसका क्षेत्रफल 60 बीघा है, इसका निर्माण सन 1632 से 1653 माना जाता है। इस ऐतिहासिक इमारत के वास्तुशास्त्री उस्ताद अहमद लाहौरी माने जाते हैं।
ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है जो कि अपनी खूबसूरती और बनावट के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसके आलावा भी इसकी कुछ खूबियाँ हैं जो हर किसी को मालूम नहीं हैं।
इसकी छत से बारिश के वक्त बूंद बूंद पानी मुमताज़ महल की कब्र पर गिरता है। इस विषय में अलग वैज्ञानिकों के अलग-अलग तर्क हैं, कुछ का कहना है की ये ताजमहल के कारीगरों द्वारा जानबूझकर के ऐसा छेद बनाया गया था और कुछ का कहना है के यह अवशोषण की क्रिया से होता है।
ताजमहल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी अधिक है। हालांकि ताजमहल और कुतुब मीनार दोनों की लंबाई 73 मीटर अथवा 240 फिट बताई जाती है पर वास्तविकता में ताजमहल कुतुब मीनार से 5 फिट अधिक ऊंचा है ।
ताजमहल अपना रंग बदलता है आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह ऐतिहासिक नमूना दिन के अलग अलग वक्त पर अलग अलग रंग में बदलता है जैसे जल्द सुबह यह गुलाबी, शाम में दूधिया सफेद और रात की चांदनी में एक अलग ही खुशनुमा रंग में यह बदल जाता है।
ताजमहल से जुड़ा एक बहुत ही प्रसिद्ध किस्सा है कि मुग़ल शासक शाहजहां ने उन शिल्पकार और कारीगरों के हाथ काट दिए थे जिन्होंने ताजमहल को बनाया था। परंतु विद्वानों और इतिहासकारों की माने तो ऐसा कोई भी प्रमाण नहीं प्राप्त हुआ है जिससे कि इस बात को सच कहा जाए।
ताजमहल लकड़ी के आधार पर बना हुआ है, और यह लकड़ी अपनी मज़बूती बनाए रखने के लिए पानी को सोखती है। ऐसा माना जाता है की यदि यमुना नदी ताजमहल के बगल से न बहती तो यह इमारत बहुत पहले ही ढह चुकी होती।
ताजमहल का निर्माण सफेद संगमरमर से हुआ है पर वास्तविकता में इसे बनाने के लिए सत्ताईस अलग-अलग पत्थरों के प्रयोग हुआ है और ये पत्थर अलग अलग जगहों से जैसे तिब्बत, चीन, श्रीलंका आदि इसके अलावा अन्य प्रयुक्त सामग्रियां एशिया और भारत के कोने कोने से मंगवाई गई थी।
ताजमहल के सारे फव्वारे बिना मोटर के एक ही समय पर काम करते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ताजमहल के परिसर में लगे सारे फव्वारे बिना किसी मशीनरी के ही एक साथ टैंक भर जाने के बाद दबाव के साथ काम करते है।