फाइलेरिया दिवस पर स्कूली बच्चों और समाज के लोगों को किया गया जागरूक

-फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को उपचार और बचाव के बारे में दी गई जानकारी
-स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मोहल्लों औऱ स्कूलों में जाकर लोगों को किया जागरूक

भागलपुर, 11 नवंबर-

फाइलेरिया दिवस के अवसर पर शुक्रवार को जिले में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। समाज के लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम कई मोहल्लों और गांवों में गई और इस बीमारी के बारे में लोगों को बताया। इस दौरान साथ-साथ फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों को उपचार और बचाव के बारे में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्कूलों का भी दौरा किया। स्कूली बच्चों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में जानकारी दी और इसकी गंभीरता को बताया। इस दौरान बच्चों से अपील की गई कि अभी जो बातें फाइलेरिया के बारे में आपको बताई जा रही हैं, उसे समाज के लोगों तक पहुंचाएं। आपलोग इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने में अच्छे दूत हो सकते हैं। इस दौरान भीवीडीओ रविकांत, केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक, पीसीआई के राजेश मिश्रा समेत तमाम लोग मौजूद थे।

ऐसे फैलती है फाइलेरिया बीमारीः
डीएमओ डॉ. दीनानाथ कुमार ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों में हो सकता है, जिसमें हाथीपांव एवं अंडकोष का सूजन या हाइड्रोसील के मामले ज्यादातर पाए जाते हैं। इसके अलावा महिलाओं के स्तन और जननांग में भी फाइलेरिया हो सकता है। उन्होंने बताया कि हाथीपांव फाइलेरिया का एक गंभीर स्वरूप है। इसमें व्यक्ति का पैर सामान्य से अधिक फूल जाता है जिससे व्यक्ति को चलने-फिरने एवं अन्य दैनिक कार्य करने में दिक्कत हो सकती है। हाथीपांव के शुरुआती चरणों में इसका कुछ प्रभावी इलाज संभव हो सकता है, लेकिन यदि शुरुआती लक्षणों की अनदेखा की गई तो यह रोग लाइलाज हो जाता है। वहीं हाइड्रोसील सर्जरी के माध्यम से पूर्णतया ठीक हो सकता है। फाइलेरिया के लक्षण सामने आने में में 5 से 15 वर्ष तक का समय लग सकता है। इसलिए इसके उपचार से इसकी रोकथाम अधिक जरूरी है।
इस तरह से फाइलेरिया पर पाया जा सकता है काबूः डॉ. दीनानथ ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए साल में एक बार एमडीए यानी सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इस दौरान घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाती है। फाइलेरिया से बचाव का यह एक सशक्त माध्यम है। यदि कोई व्यक्ति साल में एक बार एमडीए के दौरान दवा खाता है एवं इसे पांच साल तक खाता है तो वह फाइलेरिया से बच सकता है।
फाइलेरिया की रोकथाम में नाइट ब्लड सर्वे की भूमिका अहमः डॉ. दीनानथ ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए नाइट ब्लड सर्वे की भूमिका काफी अहम है। इसके द्वारा माइक्रो फाइलेरिया दर का पता लगाया जाता है। जिन क्षेत्रों में माइक्रो फ़ाइलेरिया दर एक से कम होता है। वहां सामूहिक दवा सेवन यानी एमडीए की जरूरत नहीं होती है। फाइलेरिया उन्मूलन में यह सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक है। नाइट ब्लड सर्वे रात्रि के 8.30 से 12 के बीच में ही किया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि फाइलेरिया के परजीवी दिन के समय शरीर के लिम्फेटिक सिस्टम में छिपे होते एवं रात के ही वक़्त परजीवी रक्त परिसंचरण में आते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे रात में ही किया जाता है। भागलपुर में भी यह जल्द शुरू होने वाला है।
ऐसे बचे फाइलेरिया के मच्छरों से
• रात या दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें
• घर के अंदर एवं बाहर गंदगी नहीं होने दें
• मच्छरों से बचने के लिए शरीर के खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें
• मच्छरों से बचने के लिए शरीर पर फुल स्लीव के कपड़े का इस्तेमाल करें

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